सुप्रीम कोर्ट ने अबू सलेम की 25 साल से ज्यादा की कैद के खिलाफ दाखिल याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए इसे खारिज कर दिया है। दरअसल मुंबई बम धमाके के दोषी अबू सलेम ने 2 मामलों में खुद को मिली उम्रकैद को चुनौती दी थी। देश की शीर्ष अदालत में याचिका के जरिए अबू सलेम ने दावा किया था कि पुर्तगाल से हुए उसके प्रत्यर्पण में तय शर्तों के मुताबिक उसकी कैद 25 वर्षों से ज्यादा नहीं हो सकती है। अबू सलेम की इसी याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई इस दौरान कोर्ट ने सलेम की याचिका को खारिज कर दिया।
अबू सलेम ने याचिका में दावा किया कि प्रत्यर्पण में तय शर्तों के मुताबिक उसे 25 वर्ष से ज्यादा की सजा नहीं दी जा सकती है। इसके साथ ही नियम के मुताबिक उसे 2027 में रिहा किया जाना चाहिए।
अबू सलेम की इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसकी याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि इस मामले में फैसला केंद्र सरकार लेगी.
इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि सलेम की रिहाई पर विचार करने का समय 2027 में नहीं, बल्कि 2030 में आएगा। उस दौरान जो भी फैसला होगा, वो केंद्र सरकार ही लेगी।
सुप्रीम कोर्ट ये भी दिया तर्क
सर्वोच्च न्यायालय ने सलेम की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि उम्र कैद का फैसला देने वाली कोर्ट प्रत्यर्पण के समय सरकार की तरफ से दूसरे देश से किए गए वादे से बंधी नहीं है।
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि पुर्तगाल में हिरासत के तीन साल इस सजा का हिस्सा नहीं हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि 2005 में प्रत्यर्पण हुआ है। 25 साल पूरे होने पर सरकार निर्णय ले।
सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी को इस पर सीबीआई केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से इस पर जवाब मांगा था। बता दें कि सलेम को 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था।
उसने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि भारत सरकार ने 2002 में पुर्तगाल सरकार से यह वादा किया था कि उसे न तो फांसी की सजा दी जाएगी, न ही किसी भी केस में 25 साल से अधिक कैद की सजा होगी।
-एजेंसियां