भारत काफी प्राचीन देशों में से एक है, जिसका इतिहास देखकर ऐसा लगता है कि भारत ने उपमहाद्वीप से लेकर नदियों तक और कई प्राचीन बस्तियों से लेकर शहर तक सब कुछ देखा है। इस देश ने भी कई ऐसे पुराने शहर देखें हैं, जो या तो पूरी तरह से गायब हो गए थे या जो आज भी मौजूद हैं। आज हम आपको उन शहरों के बारे में बताने वाले हैं, जो किसी समय एकदम बंजर थे या जिनका नाम आपने अभी तक नहीं सुना होगा, लेकिन उनका इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। आज के समय में उन्हें देखने के बाद आपको लगेगा ही नहीं कि ये जगहें इतनी पुरानी हैं। आपको बता दें, इन शहरों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा खोजा गया था।
राखीगढ़ी
राखीगढ़ी उत्तर भारतीय राज्य हरियाणा के हिसार जिले में मौजूद सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा एक गांव और पुरातात्विक जगह है। दिल्ली से करीबन 150 किमी दूर उत्तर पश्चिमी में मौजूद राखीगढ़ी 2600-1900 ईसा पूर्व की सिंधु घाटी सभ्यता के चरण का हिस्सा रहा है। साइट की केवल 5 प्रतिशत हिस्से की ही खुदाई की गई और अभी भी कई क्षेत्र की खुदाई बाकी है। हालांकि हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के अन्य शहरों की तरह खुदाई स्थल पर पक्की सड़कें, जल निकासी व्यवस्था, बड़ी वर्षा जल संग्रह प्रणाली, टेराकोटा ईंटें, मूर्तियां आदि पाई गई हैं।
लोथल
लोथल प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे बड़े दक्षिणी स्थलों में गिनी जाती है, जो अब गुजरात राज्य के भाल क्षेत्रों में मौजूद है। हालांकि, उस दौरान बाढ़ ने इस शहर को खत्म कर दिया था, लेकिन आज भी आपको यहां आपको कुएं, छोटी-छोटी दीवारें, नहाने के लिए घर, नालियां और पक्की फर्श जैसी चीजें देखने को मिल जाएंगी। ऐसा माना जाता है कि शहर का निर्माण 2200 ईसा पूर्व के आसपास शुरू किया गया था। लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसे 1954 में खोजा था।
कालीबंगा
कालीबंगा कस्बा राजस्थान के सूरतगढ़ और हनुमानगढ़ के बीच मौजूद है। इस जगह पर खुदाई के माध्यम से सबसे पहले जोते गए कृषि क्षेत्र के प्रमाण भी मिलते हैं। रिपोर्ट से पता चलता है कि कालीबंगा सिंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख प्रांतीय राजधानी हुआ करती थी।
सुरकोटदा
सिंधु घाटी सभ्यता का एक और खोया हुआ शहर सुरकोटदा है, जिसे पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा 1964 में खोजा गया था। यहां के प्राचीन टीले और खंडहर लाल लेटराइट मिट्टी से ढके बलुआ पत्थर की पहाड़ियों से छिपे हुए हैं, पूरे क्षेत्र को लाल भूरा रंग दिया गया है। इस जगह को 2100 ईसा पूर्व में स्थापित किया गया था।
द्वारका
कहते हैं कि भगवान कृष्ण की पवित्र नगरी द्वारका पूरी 6 बार जलमग्न हुई है। समुद्र के नीचे कई बड़े स्तंभ हैं, प्राचीन वस्तुएं और विशाल पत्थर की दीवारें हैं। हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है इसकी पुष्टि होना बाकी है कि क्या ये भगवान कृष्ण के समय के हैं।
-Compiled by up18 News