उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गोल्फ क्लब पर कब्जे को लेकर ब्यूरोक्रैसी के बीच चल रही वर्चस्व की जंग हाईकोर्ट पहुंच चुकी है। हाईकोर्ट की दखल के बाद पहले रिटायर्ड जजों को क्लब की जिम्मेदारी दी गई, वहीं आज शनिवार को इसे जांच के लिए सील कर दिया गया है। कोर्ट ने फिलहाल अग्रिम आदेशों तक रिकॉर्ड और बाकी जगहों को सील रखने का निर्देश दिया है। बता दें कि बीते गुरुवार को जस्टिस पंकज भाटिया ने लोकायुक्त संजय मिश्रा और राकेश श्रीवास्तव को इसकी जिम्मेदारी दी थी। वहीं गोल्फ क्लब मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी।
रविवार को हुआ था हंगामा
एक साल पहले प्रतिष्ठित गोल्फ क्लब के चुनाव में उत्तर प्रदेश के दो शीर्ष अफसरों के बीच मुकाबला हुआ था। इस चुनाव में राजस्व परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष मुकुल सिंघल ने तत्कालीन अपर सचिव सूचना नवनीत सहगल को हराकर अध्यक्ष की कुर्सी हासिल की थी। अभी चुनाव को एक साल पूरा होने में कुछ दिन शेष हैं लेकिन इससे पहले जनरल बॉडी मीटिंग के दौरान नियमों के बदलाव और अकाउंट को लेकर विवाद पर हंगामा शुरू हो गया। इसके बाद क्लब के वर्तमान और पूर्व अधिकारी आपस में भिड़ गए। वहीं 150 सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव पर दस्तखत किए और मौजूदा कार्यकारिणी को भंग कर दिया था।
अंग्रेजी हुकूमत के दौरान हुई थी स्थापना
लखनऊ गोल्फ क्लब का अपना एक इतिहास रहा है। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान इस गोल्फ क्लब की स्थापना की गई थी। माना जाता है कि 19वीं सदी के मध्य में इस गोल्फ क्लब को लखनऊ में स्थापित किया गया। गोरे अधिकारियों के लिए यह स्थान मनोरंज की जगह थी।
कुछ लोगों का कहना है कि कोलकाता से इस क्लब को संबद्ध किया गया था। 1857 की क्रांति के समय में जब लखनऊ में बवाल हुआ तो गोल्फ क्लब को भी उजाड़ दिया गया था। अब दोनों गुटों के बीच भिड़ंत हुई तो गोल्फ क्लब चर्चा का केंद्र बना है।
-एजेंसी
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