उत्तर प्रदेश में बिना सरकार की मान्यता के चल रहे मदरसों के सर्वे का काम प्रारंभ हो गया है। सभी 75 जिलों में 12 बिंदुओं पर सर्वे का काम किया जा रहा है। जिलाधिकारियों को सर्वे का काम पांच अक्टूबर तक पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। सर्वे का काम गैर मान्यता प्राप्त 16 हजार से अधिक मदरसों में होगा।
सर्वे की रिपोर्ट शासन में जाने के बाद पात्र मदरसों को उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड से मान्यता दिलाने का प्रयास किया जा सकता है। सरकार ने राज्य के सभी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे पांच अक्टूबर तक कराने के निर्देश दिए हैं। सर्वे का काम पूरा होने के बाद रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने मदरसों के सर्वेक्षण के प्रमुख बिंदुओं को साफ कर दिया है। अब तय हो गया है कि किन बिंदुओं पर मदरसों का सर्वेक्षण होना है। इसके साथ ही सरकार की मंशा भी पता चली है।
सरकार ने मदरसों की जांच कर रिपोर्ट के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। सरकार की ओर से 31 अगस्त को प्रदेश में चलने वाले सभी गैर मान्यता प्राप्त निजी मदरसों का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था। इसके लिए दस सितंबर तक टीम गठित करने का काम खत्म कर लिया गया है। टीम मदरसों की स्थिति का सर्वे करेगी। टीमों को आदेश के मुताबिक 15 अक्टूबर तक सर्वे पूरा कर लेना है। टीमें 25 तक अपनी सर्वे रिपोर्ट सरकार को सौंप देंगी।
इन 12 बिंदुओं पर होगा सर्वे
सरकार की ओर से जारी फार्मेट में सर्वे के 12 बिंदु तय हैं। इसमें देखा जाएगा कि प्राइवेट स्तर पर चलने वाले मदरसों की गवर्निंग कैसे होती है। इन्हें पैसे कहां से आते हैं। पाठ्यक्रम क्या है।
फार्मेट में बनाए गए 12 कालम में पहला कालम में मदरसे का नाम भरा जाएगा
मदरसे को संचालित करने वाली संस्था का नाम इसमें भरा जाएगा
मदरसा के स्थापना वर्ष के बारे में विवरण भरना होगा।
चौथे कालम में मदरसों की अवस्थिति का पूरा विवरण देना होगा। मतलब, मदरसा निजी भवन में चल रहा है या किराए के भवन में। इसकी जानकारी देनी होगी।
क्या मदरसे का भवन छात्र-छात्राओं के लिए उपयुक्त है। इस सवाल का जवाब देना होगा। इसमें बताना होगा कि मदरसे का भवन सुरक्षित है या नहीं। पेयजल, फर्नीचर, बिजली की व्यवस्था, शौचालय आदि सुविधाओं के बारे में बताना होगा।
सर्वे फार्मेट के छठे कालम में मदरसे में पढ़ रहे छात्र- छात्राओं की कुल संख्या के बारे में जानकारी देनी है
मदरसे में कुल शिक्षकों की संख्या क्या है। इसका विवरण देना है
मदरसे में लागू पाठ्यक्रम क्या है। किस पाठ्यक्रम के आधार पर बच्चों को शिक्षा दी जा रही है।
मदरसे की आय का स्रोत क्या है। इसमें यह बताना होगा कि मदरसा को संचालित करने के लिए दान या जकात मिल रही है तो वह कहां से आ रह है
क्या इन मदरसों में पढ़ रहे छात्र-छात्राएं किसी और शिक्षण संस्थान स्कूल में नामांकित हैं। छात्रों के अन्य संस्थानों में भी एडमिशन लिए जाने के बारे में जानकारी ली जाएगी
क्या किसी गैर सरकारी संस्था या समूह से मदरसे की संबद्ध है। अगर हां तो इस संबंध में पूरा विवरण होगा
यह कालम अभियुक्ति का होगा। इसमें सर्वेयर तमाम बिंदुओं पर मदरसा संचालकों की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी पर अपनी टिप्पणी लिख सकते हैं
कमी खोजने के लिए किया जा रहा है सर्वे
मदरसों के सर्वे के काम को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि सरकार ने बिना मान्यता के चल रहे मदरसों में कमी खोजने के लिए सर्वे का काम शुरू कराया है। इसको लेकर लोगों में किसी तरह की गलतफहमी पैदा ना हो। उन्होंने कहा कि जब मदरसों की कमियां पता चलेंगी तो सुधार होगा। सरकार का प्रयास है कि मदरसों के बच्चों के हाथ में कुरान के साथ ही लैपटाप भी हो। उन्होंने कहा कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं बचा। इसी कारण सर्वे को तूल दे रहा है।
मकसद मदरसों को मुख्यधारा में लाना
मंत्री दानिश अंसारी ने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार का मकसद मदरसों को मुख्यधारा में लाना है। इनको शिक्षा के आधुनिक तरीकों से जोड़ने की अगर कवायद चल रही है तो इसमें किसी को परेशानी क्या हो सकती है। ऐसे में मदरसा सर्वेक्षण के फार्मेट पर गौर करना जरूरी हो जाता है।
-एजेंसी