सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले कहा था कि क्या सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल, पीने के पानी तक पहुंच, शिक्षा तक पहुंच को मुफ्त सौगात माना जा सकता है?
हमें यह परिभाषित करने की आवश्यकता है कि एक मुफ्त सौगात क्या है?
क्या हम किसानों को मुफ्त में खाद, बच्चों को मुफ्त शिक्षा के वादे को मुफ्त सौगात कह सकते हैं?
सार्वजनिक धन खर्च करने का सही तरीका क्या है, इसे देखना होगा। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों की राय भी मांगी थी।
इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी माना था कि, राजनीतिक दलों और व्यक्तियों को संवैधानिक दायित्वों को पूरा करने के उद्देश्य से चुनावी वादे करने से नहीं रोका जा सकता। वहीं फ्री बीज यानी मुफ्त सौगात शब्द और वास्तविक कल्याणकारी योजनाओं के बीच अंतर को समझना होगा।
-एजेंसी
Discover more from Up18 News
Subscribe to get the latest posts sent to your email.