अनाप शनाप मुफ्त सौगातें बांटने का विरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय में दायर की गई एक जनहित याचिका में गुरुवार को कहा गया कि 31 मार्च 2021 को राज्यों पर 59,89,360 करोड़ रुपये की देनदारी थी। साथ ही गैर-जरूरी मुफ्त सुविधाओं पर बढ़ता खर्च एक नया खतरा बन गया है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र पर क्रमशः 6,62,891 करोड़ रुपये और 5,36,891 करोड़ रुपये की देनदारी हैं और वे इस संबंध में शीर्ष पर हैं। वहीं पंजाब ऋण एवं सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) अनुपात में सबसे ऊपर है।
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की दायर लिखित दलील में दावा किया गया है कि 2,49,187 करोड़ रुपये की देनदारी के साथ पंजाब में चालू वित्त वर्ष में ऋण एवं जीएसडीपी अनुपात सबसे खराब 53:3 है।
सर्वोच्च न्यायालय में दायर इस याचिका में चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों के जरिए मुफ्त सौगातों का वादा करने के चलन का विरोध करने के साथ ही निर्वाचन आयोग से ऐसे राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्नों पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है। साथ ही उनका पंजीकरण रद्द करने के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग करने की अपील की गई है।
दलील में दिया गया आरबीआई की रिपोर्ट का हवाला
पीठ ने केंद्र, नीति आयोग और वित्त आयोग जैसे पक्षों के विचार मांगे हैं और उनसे मुफ्त सुविधाओं के मुद्दे पर विचार करने को कहा है। न्यायालय ने संकेत दिया था कि वह इस मुद्दे से निपटने के लिए सरकार को उपाय सुझाने की खातिर एक प्रणाली स्थापित करने का आदेश दे सकता है
उपाध्याय ने वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया और वकील अश्विनी कुमार दुबे के जरिए सुझावों के साथ लिखित दलील दी है। दलीलों में भारतीय रिजर्व बैंक के जरिए प्रकाशित एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया है।
-एजेंसी
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