जयपुर। अखिल भारतीय विधिक सेवा प्राधिकरण के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में आज शनिवार को सीजेआई जस्टिस एन वी रमना व केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने लंबित केसों और कानूनी प्रक्रिया में सुधार के लिए अपने अपने विचार व्यक्त किए।
केद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि संसद के मानसून सत्र में 71 कानून निरस्त किए जाएंगे वहीं भी भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमना ने न्यायपालिका में बड़ी संख्या में लंबित मामलों के लिए केंद्र सरकार पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा न्यायिक रिक्तियों को न भरना मामलों के लंबित होने का प्रमुख कारण है।
सीजेआई एन वी रमना ने कहा, “यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं एक या दो चीजों पर प्रतिक्रिया दूं, जिसका उल्लेख कानून मंत्री ने किया है। मुझे खुशी है कि उन्होंने पेंडेंसी के मुद्दे को उठाया है। उन्होंने कहा, “जब हम न्यायाधीश भी देश से बाहर जाते हैं, तो हमें भी एक ही प्रश्न का सामना करना पड़ता है। एक मामला कितने साल चलेगा? आप सभी पेंडेंसी के कारणों को जानते हैं। मुझे इसके बारे में विस्तार से बताने की आवश्यकता नहीं है। आप सभी जानते हैं कि प्रमुख महत्वपूर्ण कारण न्यायिक रिक्तियों को न भरना और न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार नहीं करना है।”
इससे पूर्व रिजिजू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में बहस और निर्णय अंग्रेजी में होते हैं, लेकिन हमारा मानना है कि उच्च न्यायालयों और निचली अदालतों में क्षेत्रीय और स्थानीय भाषाओं को प्राथमिकता मिलना चाहिए। वह इस विचार से सहमत नहीं हैं कि अंग्रेजी बोलने वाले वकील को अधिक सम्मान’, ज्यादा केस या ज्यादा फीस मिलना चाहिए। कोई भी अदालत केवल विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के लिए नहीं होनी चाहिए। न्याय के दरवाजे सभी के लिए समान रूप से खुले होने चाहिए।
अदालतों में पांच करोड़ केस लंबित
उन्होंने कहा कि सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र के दौरान करीब 71 कानूनों को निरस्त किया जाएगा। देश में लंबित मामले बढ़ने पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे मामले पांच करोड़ होने जा रहे हैं, लेकिन न्यायपालिका और सरकार के बीच समन्वय से लंबित मामलों को कम किया जा सकता है। कानून मंत्री ने कहा कि लोगों को न्याय दिलाने के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच अच्छा तालमेल होना चाहिए।
एएसआई को और मजबूती देने वाला विधेयक तैयार
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को और मजबूती प्रदान करने और प्राचीन स्मारकों से संबंधित कानून में संशोधन के लिए एक विधेयक सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। लोकसभा बुलेटिन के अनुसार, प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष (संशोधन) विधेयक, 2022 को सरकार ने पेश करने और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया है। विधेयक का उद्देश्य निषिद्ध क्षेत्र और अन्य संशोधनों को युक्तिसंगत बनाना है।
बिल का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह उस प्रावधान को प्रतिस्थापित करेगा जो एक विशेषज्ञ समिति द्वारा तय की जाने वाली साइट-विशिष्ट सीमाओं के साथ केंद्र-संरक्षित स्मारकों के आसपास निर्माण गतिविधि के लिए 100 मीटर निषिद्ध क्षेत्र की अनुमति देता है।
प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष (एएमएएसआर) अधिनियम, 1958 को 2010 में संशोधित किया गया था ताकि संरक्षित स्मारकों के 100 मीटर के दायरे को निषिद्ध क्षेत्रों और अगले 300 मीटर के दायरे को विनियमित क्षेत्रों के रूप में घोषित किया जा सके।
अधिकारियों ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन निषिद्ध और विनियमित क्षेत्रों को युक्तिसंगत बनाने के लिए अधिनियम की धारा 20 ए को बदल देगा, जो निषिद्ध क्षेत्र को संदर्भित करता है। विशेषज्ञ स्मारक समितियां किसी विशेष स्मारक के आसपास के निषिद्ध क्षेत्र का फैसला करेंगी।
-एजेंसी
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