पर्यावरण बचाने के नजरिये से इन दिनों बैंबू प्रोडक्ट की डिमांड

Life Style

पर्यावरण बचाने के नजरिये से इन दिनों बैंबू प्रोडक्ट की डिमांड को देखते हुए त्र‍िपुरा में हैंड क्राफ्ट का बेहतर नमूना हैं लीक प्रूफ बांस से बनी बॉटल्स। इन्हें बनाकर शिल्पकारों की तो आर्थिक स्थिति सुधरी ही, साथ ही पर्यावरण बचाने का भी गहरा संदेश छुपा है इनमे। यहां तक क‍ि अभ‍िनेत्री रवीना टंडन ने अपने ट्विटर अकाउंट से इसे प्रमोट कर सराहनीय प्रयास क‍िया है।

बांस के महत्व को जानते हुए त्रिपुरा में प्रधानमंत्री वन धन योजना और नेशनल बैंबू मिशन स्कीम के तहत गांव वालों को बैंबू प्रोडक्ट बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। उनकी हस्तशिल्प कला का पता बांस की फैंसी वाटर बॉटल को देखकर लगाया जा सकता है। इन फैंसी बॉटल्स की बाहरी सतह बांस से बनी होती है। इसकी अंदर की सतह पर कॉपर लाइनिंग देखी जा सकती है।

अगर बांस की खासियत के बारे में बात की जाए तो बांस की पैदावार के लिए किसी फर्टिलाइजर की जरूरत नहीं होती है। बांस से बनी हर चीज केमिकल फ्री होती है। इसीलिए पर्यावरण बचाने के नजरिये से इन दिनों बैंबू प्रोडक्ट की डिमांड जोरों पर है।

दरअसल ये प्रोडक्ट उन आदिवासी लोगों और लोकल आर्टिजन के जीवन को सुधारने का एक प्रयास है जिनके पास अपनी आजीविका चलाने का कोई अन्य साधन नहीं है। इसके अलावा इको फ्रेंडली होने की वजह से इसका खास महत्व है। इसे प्लास्टिक का इस्तेमाल किए बिना बनाया जा रहा है। बॉटल को बनाने का काम शुरू करने से पहले इस बात पर रिसर्च की गई कि इन्हें इंटरनेशल स्टैंडर्ड देने के लिए किस तरह मोल्ड किया जाए।

बांस से बनी बॉटल्स और झाड़ू के माध्यम से त्रिपुरा के शिल्पकारों को रोजगार देने का श्रेय आईएफएस ऑफिसर प्रसाद राव को जाता है। वे आदिवासी शिल्पकारों को बांस से झाड़ू और बॉटल बनाने की ट्रेनिंग देते हैं। कुछ ही समय में उन्होंने लगभग 1000 लोगों को बांस से झाड़ू बनाने का प्रशिक्षण दिया था। जब प्रसाद राव को इस काम में सफलता मिली तो उन्होंने शिल्पकारों के पूरे परिवार को बांस से बॉटल बनाना सिखाया।

इस प्रोजेक्ट को बैम्बू एंड केन डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट और अगरतला के फॉरेस्ट रिसर्च सेंटर ऑफ लाइवलीहुड एक्सटेंशन का सहयोग मिला। इस काम के लिए लोगों को ट्रेनिंग देने के शुरुआत 10 मास्टर ट्रेनर से हुई थी। अब ये ट्रेनर 1000 शिल्पकारों को प्रधानमंत्री वन धन योजना और नेशनल बैंबू मिशन स्कीम के तहत बैंबू प्रोडक्ट बनाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं।

प्रसाद राव कहते हैं कि बांस से बनी इन बॉटल की आंतरिक सतह को कॉपर से इसलिए बनाया गया ताकि इसमें रखा पानी बैक्टीरिया, वायरस और फंगस से बच सके। ये बॉटल 300 मिली के अलावा 500, 750 और एक लीटर के साइज में भी उपलब्ध हैं। प्रसाद राव अपनी इस कोशिश से छोटे पैमाने पर किए जाने वाले उद्योगों को बढ़ाव देना चाहते हैं। वे ऐसे प्रोडक्ट इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। उनका रुझान प्लास्टिक फ्री उत्पादों को बढ़ावा देने की तरफ है।
– एजेंसी


Discover more from Up18 News

Subscribe to get the latest posts sent to your email.