बीरभूम नरसंहार मामले में मृतकों के स्वजन को मुआवजा और नौकरी देने के मामले में बंगाल की ममता सरकार को हाई कोर्ट में झटका लगा है। सोमवार को कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को दो सप्ताह के अंदर हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया है।
जनहित याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार ने नियमों का उल्लंघन कर मृतकों के स्वजन को नौकरी व मुआवजा दिया है। बता दें कि जिले के बोगटूई गांव में टीएमसी नेता की हत्या के बाद भड़की हिंसा में 10 लोगों को जलाकर मार दिया गया था। इसके बाद ममता सरकार ने मृतकों के स्वजन को सात लाख रुपये मुआवजा व सरकारी विभाग में ग्रुप डी की नौकरी दी है।
कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव की खंडपीठ ने राज्य सरकार को दो सप्ताह के अंदर हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने वित्तीय सहायता और रोजगार प्रक्रिया पर राज्य की प्रतिक्रिया मांगी। जनहित याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार ने नियमों का पालन किए बिना घटना के लिए मुआवजे का भुगतान किया है। गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश की गई है। सब कुछ अवैध है। हाई कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप करे।
बता दें कि बोगटूई नरसंहार के बाद ममता बनर्जी ने पीड़ितों के स्वजन को पांच-पांच लाख रुपये और क्षतिग्रस्त घरों के पुनर्निर्माण के लिए दो-दो लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की थी। घायलों में से प्रत्येक को 50-50 हजार रुपये दिए गए थे। इसके साथ ही 10 पीड़ितों को सरकारी विभाग में ग्रुप डी की नौकरी दी गई थी। उसी के खिलाफ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। इस मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को है।
उल्लेखनीय है कि 21 मार्च की रात बोगटूई गांव में तृणमूल कांग्रेस के उपप्रधान भादू शेख की हत्या के बाद कथित तौर पर बदला लेने के लिए उनके समर्थकों ने गांव के कम से कम 10 से 12 घरों में आग लगा दी जिसमें बच्चे सहित कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई थी।
-एजेंसियां
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