आगरा: आवास विकास परिषद से एक अनोखा मामला सामने आया है। आवास विकास परिषद में एक भूखंड का दो बार बैनामा हुआ। मामला पुलिस तक पहुंच गया। पीड़िता की शिकायत के बाद जब पुलिस ने जांच की तो मामला सही पाया। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर रिटायर्ड संपत्ति अधिकारी, बाबू सहित नौ लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया। प्रारंभिक जांच में यही साफ हुआ है कि बैनामा दो बार हुआ है।
शाहगंज थाने में आवास विकास कॉलोनी सेक्टर 6 निवासी नीरज शर्मा ने आवास विकास परिषद के अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है। मुकदमे में सीताराम शर्मा, देवेंद्र शर्मा, चरण सिंह, आशा सिंह, गीतम सिंह, बृजेंद्र मित्तल, लक्ष्मण प्रसाद, आवास विकास परिषद के तत्कालीन संपत्ति अधिकारी डीपी सिंह, बाबू लाखन सिंह को आरोपी बनाया गया है। फिलहाल पुलिस ने अभी किसी की भी गिरफ्तारी नहीं की है।
साक्ष्य जुटाने में लगी पुलिस
पुलिस मुकदमा लिखे जाने के बाद आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य जुटाने में लगी हुई है जिससे आरोपी के खिलाफ लिखे गए मुकदमे में उन्हें किसी भी तरह का लाभ न मिले और उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो सके।
पीड़ित नीरज शर्मा ने पुलिस को बताया कि उनके पिता आरबी शर्मा ने उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद से 22 दिसंबर 1999 में सिकंदरा योजना में एक भूखंड खरीदा था। 25 फरवरी 2000 में कब्जे का पत्र जारी हुआ जो उनके पास सुरक्षित है। आरोप है कि आवास विकास परिषद ने एक अन्य व्यक्ति को आरबी शर्मा बनाकर पिता के फर्जी हस्ताक्षर कर फर्जी और कूट रचित विक्रय के कागजात तैयार कराए। सीताराम व उनके बेटे देवेंद्र शर्मा ने संपत्ति अधिकारी डीपी सिंह चरण सिंह, आशा सिंह और अन्य भूखंड को हड़पने के लिए फर्जी दस्तावेज से 28 दिसंबर 2002 में बैनामा कर दिया।
सीताराम शर्मा ने खुद को दर्शाया आरबी शर्मा
पीड़ित का आरोप है कि बैनामा में सीताराम शर्मा ने खुद को आर बी शर्मा दर्शाया है। यह साक्ष्य उन्होंने खुद जांच करके जुटाए हैं। बैनामा में आशा सिंह, चरण सिंह, गीतम सिंह, बृजेंद्र मित्तल और बाबू लाखन सिंह व अन्य बाबू गवाह बनाए गए हैं। बैनामे में गवाह आशा सिंह को उसी तारीख को सीताराम शर्मा ने फर्जी बैनामा कर दिया।
-एजेंसी
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