आगरा। शमसाबाद रोड स्थित इंद्रापुरम कॉलोनी के निवासी बुजुर्ग राजेंद्र कुमार जैन के लगातार दस दिन तक डिजिटल अरेस्ट की घटना ने हर किसी को चौंका दिया है। बुजुर्ग के खाते से 41 लाख रुपये ट्रांसफर तो करा ही लिए गए, सबसे बड़ी बात यह है कि साइबर अपराधियों ने बुजुर्ग को इतना डरा दिया कि वे अपने परिवार तक को कुछ नहीं बता सके। यह घटना उन सभी परिवारों के लिए सबक है जिनके घरों में बुजुर्ग हैं।
राजेंद्र कुमार जैन 70 वर्ष के हैं और गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। उनके साथ ठगी का यह सिलसिला 11 से 21 जनवरी तक चलता रहा और परिवार को कानोंकान खबर नहीं लग सकी। मुंबई पुलिस के नाम पर पहला कॊल 11 जनवरी को आया और इसी दिन दूसरी बार कॉल कर मुंबई पुलिस का इंसपेक्टर और फिर डीसीपी मुंबई पुलिस बताकर उनसे बात की गई। दाऊद का साथी बताकर कहा गया कि उनका खाता ब्लॊक हो चुका है क्योंकि खाते में ठगी की भारी रकम जमा की गई है। वे खुद और उनके बच्चे जेल जाएंगे।
बुजुर्ग राजेंद्र कुमार जैन बहुत डर गए थे क्योंकि जो ठग उन्हें कॊल कर रहे थे, उनकी व्हाटसएप डीपी पर पुलिस थाने, पुलिस वर्दी वाले अधिकारी की फोटो दिखती थी। चुपचाप वैसा ही करते रहे, जैसा इन अपराधियों ने बोला। कई बार में बैंक जाकर इन अपराधियों के बताए खातों में रकम ट्रांसफर करते रहे। एक बार भी इनके दिमाग में यह नहीं आया कि वे अपने किसी परिजन या किसी रिश्तेदार से बात कर लें।
राजेंद्र कुमार जैन को 21 जनवरी को आभास हुआ कि कहीं उनके साथ कुछ गलत हो रहा है। तब बेटे को बताया। अब यह मामला साइबर सेल से साइबर थाने तक पहुंच चुका है। जांच की औपचारिकता होती रहेगी। बहरहाल बुजुर्ग राजेद्र जैन को 41 लाख का चूना लग चुका है।
साइबर अपराधियों द्वारा लगातार बुजुर्गों को निशाना बनाया जा रहा है, इसके बावजूद परिवारों में लोग इस बारे में अपने बुजुर्गों को जागरूक नहीं कर पाए हैं कि ऐसे वीडियो कॉल आने पर उन्हें क्या करना है। राजेंद्र कुमार जैन के परिजनों ने उन्हें इस बारे में पहले ही बता दिया होता तो शायद वे डिजिटल अरेस्ट के झांसे में आकर अपना सब कुछ न गंवा बैठते।