लखनऊ। यूपी में शत्रु संपत्तियों पर चारा उत्पादन और पशु संरक्षण केंद्र खोले जाएंगे। इसके लिए प्रदेश सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से इन संपत्तियों का ब्यौरा मांगा है। इस योजना में जमीन केंद्र सरकार मुहैया कराएगी, जबकि उन पर जरूरी सुविधाएं विकसित करने की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार उठाएगी।
उत्तर प्रदेश में 7624 गोआश्रय स्थलों में 12 लाख से ज्यादा गोवंश हैं। पशुओं की संख्या को देखते हुए प्रदेश में हरे चारे की कमी है। इसके लिए नए-नए स्थान तलाश करने की योजना है, ताकि वहां हरे चारे के उत्पादन के साथ ही कृत्रिम गर्भाधान व शोध केंद्र भी स्थापित हो सकें।
इसी योजना के तहत शासन ने केंद्र सरकार से शत्रु संपत्ति हासिल करने के लिए संपर्क किया है। चिह्नित शत्रु संपत्तियों पर अतिक्रमण होने पर उसे खाली कराया जाएगा। यहां खोले जाने वाले केंद्र आधुनिकतम तकनीक पर आधारित होंगे। इनकी मदद से देसी गायों के संरक्षण और संवर्धन पर जोर दिया जाएगा।
क्या है शत्रु संपत्ति?
भारत-पाकिस्तान बंटवारे और दोनों देशों के बीच हुए युद्ध के बाद तमाम लोग भारत से पलायन करके पाकिस्तान चले गए। वे अपनी संपत्ति यहां छोड़ गए। सरकार ने ऐसी संपत्तियों को अपने कब्जे में लिया और इन्हें शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया। इसी तरह से 1962 के युद्ध के बाद चीन में बसने वाले भारतीयों की संपत्ति को भी शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया था। वर्ष 2017 में शत्रु संपत्ति अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन के बाद ऐसी सभी संपत्तियां केंद्र के अधीन आ गई हैं। देश में सबसे ज्यादा शत्रु संपत्तियां यूपी में हैं। इनकी संख्या करीब 6017 है।
प्रमुख सचिव, पशुधन एवं दुग्ध विकास के. रविंद्र नायक ने कहा कि शत्रु संपत्तियों पर चारा उत्पादन एवं पशु संरक्षण केंद्र स्थापित किए जाएंगे, ताकि चारे की पर्याप्त आपूर्ति हो सके। पशुओं से संबंधित शोध केंद्र भी विकसित होंगे।
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