यूपी में 112 हुआ अपग्रेड, AI समेत एडवांस तकनीक का होगा इस्तेमाल, CM Yogi ने गिनाए बड़े बदलाव

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लखनऊ। मुख्यमंत्री ने गुरुवार को सुबह अपने सरकारी आवास से यूपी 112 के 96 उच्चीकृत पीआरवी (पुलिस रिस्पांस वीकल) को हरी झंडी दिखाई। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी 112 को दूसरे चरण में एआइ (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) समेत अन्य अत्याधुनिक तकनीक से जोड़कर अधिक प्रभावी बनाया गया है। बीते सात वर्षों में उप्र पुलिस ने अपनी नई पहचान बनाई है। उप्र को भी नई पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

प्रदेश में निवेश व व्यापार की नई संभावनाएं जागी हैं। उन्होंने कहा कि यूपी 112 को और प्रभावशाली बनाने के लिए अगले तीन वर्ष के लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। यूपी 112 के बेड़े में कुल 6,278 वाहन शामिल किए जाएंगे। इस वर्ष 1,778 वाहनों को शामिल किए जाने का लक्ष्य है। प्रदेश में कानून का राज स्थापित हुआ तो इसका असर सामान्य नागरिकों की सुरक्षा पर पड़ेगा। लोगों का विश्वास एक बार व्यवस्था से हटा तो उसे बहाल करने में लंबे समय तक कसरत करनी पड़ेगी।

वित्त व संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि पुलिस के समय से मौके पर पहुंचने से बड़े से बड़े अपराध को रोका जा सकता है। पुलिस को सेवाभाव से काम करने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही किसी बेकसूर पर कार्रवाई न किए जाने की नसीहत भी दी।

कार्यक्रम में कृषि राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, अपर मुख्य सचिव गृह दीपक कुमार, डीजीपी प्रशांत कुमार, एडीजी यूपी 112 नीरा रावत व अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

यह हुआ बड़ा बदलाव

अब प्रतिदिन 42 लाख काल रिसीव की जा सकेंगी, अब तक 25 लाख की क्षमता थी।

यूपी 112 से अब आपदा राहत, सेफ सिटी समेत 15 नई एजेंसियां भी जुड़ीं। अब कुल 24 एजेंसियां एकीकृत।

संवाद अधिकारियों की संख्या 673 से बढ़कर 825 हुई।

अब प्रतिदिन 28 हजार लोगों तक पहुंचेगी आपात सहायता। अब तक औसतन 18,500 लोगों को मिलती थी सहायता।

पहले चरण में कुल 4800 पीआरवी थीं, जिनकी संख्या 6278 होगी।

फोन करने वाले की सटीक लोकेशन जानने के लिए हो रहा ईएलएस तकनीक का प्रयोग।

पीआरवी पर तैनात पुलिसकर्मी हुए बाडीवार्न कैमरों से लैस। पुलिसकर्मी घटनास्थल की फोटो के साथ ही वीडियो रिकार्ड कर सकेंगे।

पीआरवी पर लगे पीटीजेड कैमरे, जिनसे किसी घटना की फीड सीधे पुलिस कंट्रोल रूम को मिलेगी।

कैमरों से बढ़ेगी पारदर्शिता और संवदेनशील स्थानों की निगरानी

अब पीड़ित को भी पता लग सकेगी पीआरवी की रनिंग लोकेशन।

Compiled by up18News


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