एक ऐसी IAS अधिकारी, जिनका नृत्‍य देखकर मंत्रमुग्‍ध हो जाते हैं लोग

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हैं तो वह देश की सबसे बड़ी प्रशासनिक सेवा की अफसर….यानी आईएएस, मगर पैरों में घुंघरू बांध…भरतनाट्यम कॉस्टयूम में जब वह मंच पर थिरकतीं हैं तो लोग चकित रह जाते हैं… मंत्रमुग्ध होकर बस देखते ही रह जाते हैं. और तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठता है हाल. भाव, ताल और राग ही नहीं नृत्य भंगिमाओं से वह दर्शकों का दिल जीत लेतीं हैं. बात हो रही है कविता रामू (IAS Kavitha Ramu) की. तमिलनाडु काडर की 2002 बैच की आईएएस कविता रामू (Kavitha Ramu) की आज महज प्रशासनिक अफसर नहीं बल्कि देश की मशहूर भरतनाट्यम नृत्यांगना के तौर पर पहचान बन चुकी है. देश-विदेश में अब तक छह सौ से अधिक स्टेज परफार्मेंस कर चुकीं इस महिला आईएएस को कई अवार्ड मिल चुके हैं. कविता के लिए आईएएस बनने का सफर काफी रोचक रहा. भरतनाट्यम डांसर से वह आईएएस बन गईं. एक डांसर से कैसे बनीं अफसर, जानिए उनका सफर.

कविता रामू महज चार साल की थीं, जब उनकी मां ने उन्हें भरतनाट्यम सिखाना शुरू किया. मां मनिमेगली (Manimegali) शादी से पहले अर्थशास्त्र की प्रोफेसर रह चुकीं थीं. फिर प्रख्यात डांसर नीला कृष्णमूर्ति को गुरु बनाकर डांस की बारीकियां सीखनी शुरू कीं. बात 1981 की है, जब कविता महज आठ वर्ष की थीं, तब तमिलनाडु के चिदंबरम शहर में विश्व तमिल कांफ्रेंस (World Tamil Conference ) का आयोजन हो रहा था. उस अंतर्राष्ट्रीय स्तर के समारोह में इस आठ साल की बच्ची ने दमदार परफारमेंस से समां बांध दी तो लोग हैरान रह गए. इतने बड़े आयोजन में सफल प्रस्तुति देने पर बच्ची का काफी आत्मविश्वास बढ़ा. फिर स्टेज परफार्मेंस का सिलसिला शुरू हो गया. इसी दौरान कविता की मुलाकात प्रख्यात डांसर केजे सरसा से हुई तो उनके अंडर में भरतनाट्यम की ट्रेनिंग लेनी शुरू कीं. देखते ही देखते ही कविता रामू मशहूर होतीं गईं.

पिता की तरह बनीं आईएएस

भरतनाट्यम कविता का पैशन रहा, मगर वह अपने आईएएस पिता एम रामू से काफी प्रभावित रहीं और उनके पदचिन्हों पर चलना चाहतीं थीं. परिवार भी बेटी को आईएएस बनते देखना चाहते थे. ऐसे में एक तरफ का रास्ता भरतनाट्यम में करियर की तरफ जाता था दूसरा रास्ता उन्हें प्रशासनिक सेवा की तैयारी की तरफ ले जाता था. आखिर कविता रामू ने दोनों में संतुलन साधने की कोशिश कीं और सफल भी रहीं. जिस वक्त वह बड़ी प्रतियोगिताओं में भाग लेने की तैयारी कर रहीं थीं, उसी वक्त 2002 में उनके जीवन की सबसे बड़ी खुशखबरी मिली. यह खुशखबरी थी देश की सबसे बड़ी प्रतियोगी परीक्षा यानी संघ लोकसेवा आयोग की सिविल सर्विसेज परीक्षा में सफलता की. आखिरकार कविता आईएएस बनने में सफल रहीं. कविता पढ़ने में काफी मेधावी रहीं. इससे पहले 1999 में उनका चयन तमिलनाडु स्टेट सिविल सर्विसेज में हो चुका था. कविता ने अर्थशास्त्र से ग्रेजुएशन किया तो पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (लोक-प्रशासन) में मास्टर्स की डिग्री ली.

कई पदों पर कर चुकीं काम

तमिलनाडु में आईएएस कविता रामू कई पदों पर काम कर चुकी हैं. वेल्लोर में जहां रेवेन्यू डिविजनल अफसर रहीं तो चेन्नई में असिस्टेंट कमिश्नर सिविल सप्लाई पद पर काम कर चुकीं हैं. तमिलनाडु स्टेट टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन की जनरल मैनेजर रह चुकीं हैं. भरतनाट्यम के प्रति दीवानगी और प्रशासनिक सेवा की जिम्मेदारी के चलते कविता रामू को समय का संयोजन करने में काफी सजग रहना पड़ता है. उनके मुताबिक सुबह पांच बजे से ही उनकी दिनचर्या योगा से शुरू हो जाती है. फिर वह नौ बजे से ऑफिस के लिए निकल जातीं हैं. रात आठ बजे तक घर वापसी होती है. नौकरी से फुर्सत के बाद वह नृत्य का रियाज करतीं हैं.

-एजेंसियां


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