उत्तर प्रदेश में अवैध खनन घोटाला एक बार फिर चर्चा में आ गया है। पूरा मामला 2012 से 2017 तक का है। उस समय प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। मुख्यमंत्री के पद पर अखिलेश यादव थे। अवैध खनन का मामला हमीरपुर जिले में आया था। इस मामले को वर्ष 2016 में हाई कोर्ट में उठाया गया। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई की।
कोर्ट की ओर से अवैध खनन पर रोक लगाने का आदेश जारी किए जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने की बात कही गई। इसके बाद हाई कोर्ट ने सीबीआई को जांच दे दी। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सीबीआई मामले की जांच करे और बताए कि क्या प्रशासन की मिलीभगत से अवैध खनन का मामला जारी है? हाई कोर्ट के आदेश पर 2016 में ही सीबीआई ने प्राथमिक जांच शुरू कर दी थी। इस केस में प्राथमिकी प्रारंभिक जांच शुरू होने के बाद तीन साल बाद वर्ष 2019 में दर्ज की गई। इसमें कुल 11 लोगों को नामजद किया गया। इस मामले को उठाने में वकील विजय द्विवेदी की भूमिका अहम रही है।
राजनीतिक जानकारों का दावा है कि इस मामले में की शुरुआत के समय अखिलेश यादव सीएम थे। कुछ इसी प्रकार का मामला बिहार में वर्ष 1996 में आया था। तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव पर चारा घोटाले का आरोप लगा था। चारा घोटाले ने लालू यादव की राजनीति पर ब्रेक लगा दिया। अखिलेश यादव अब इसी प्रकार की परेशानी में घिरते दिख रहे हैं।
प्राथमिकी में अवैध खनन होने की बात
प्राथमिकी में कहा गया कि सरकारी मुलाजिमों ने हमीरपुर में अवैध खनन को होने दिया। इस पूरी प्रक्रिया में टेंडर के नियमों का पालन नहीं किया गया। अवैध रूप से नए पट्टे दिए गए। एनजीटी की ओर से खनन पर बैन के बावजूद लाइसेंस रिन्यू किए गए। सीबीआई की ओर से इस मामले में आईएएस अधिकारी बी. चंद्रकला समेत 11 अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सीबीआई की जांच में एक ही दिन में 13 परियोजनाओं को अखिलेश यादव कार्यालय की ओर से मंजूरी दी गई। दरअसल, यूपी में वर्ष 2012 में सीएम बनने के बाद अखिलेश यादव ने खनन विभाग अपने पास रखा था।
एजेंसी का दावा है कि 17 फरवरी 2013 को तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव की ओर से 14 पट्टों को मंजूरी दी गई थी। इसे ई-टेंडर प्रक्रिया का उल्लंघन बताया गया। सीबीआई की जांच में दावा किया गया कि इन पट्टों को हमीरपुर की तत्कालीन डीएम बी. चंद्रकला की ओर से मंजूरी मिली थी। जनवरी 2019 में केस दर्ज करने के बाद सीबीआई ने बी .चंद्रकला समेत सपा नेताओं के ठिकानों पर छापेमारी की थी।
2021 में गायत्री के घर भी छापेमारी
प्रवर्तन निदेशालय ने अवैध खनन मामले में अपनी तरफ कार्रवाई शुरू की। इस मामले में अखिलेश यादव सरकार के मंत्री गायत्री प्रजापति को शिकंजे में लिया गया। दरअसल, मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे गायत्री प्रजापति को अखिलेश सरकार में वर्ष 2013 में खनन विभाग का जिम्मा दिया गया। ईडी ने इस छापेमारी के दौरान नकद 11 लाख रुपये बरामद किया था। अब सीबीआई न अखिलेश यादव को सीआरपीसी की धारा 160 के तहत नोटिस जारी किया है। धारा 160 के तहत किसी भी व्यक्ति को गवाह के तौर पर पूछताछ के लिए बुलाने का अधिकार जांच एजेंसी को है।
कौन हैं विजय द्विवेदी?
विजय द्विवेदी हमीरपुर के जनहित याचिकाकर्ता हैं। उन्होंने हमीरपुर अवैध खनन का मामला उठाया। हाई कोर्ट में याचिका दायर की। याचिका दायर किए जाने के बाद वे लगातार एक वर्ग के निशाने पर रहे हैं। उनको कई बार धमकियां मिलीं। इसके बाद भी वे पीछे नहीं हटे।
आखिरकार इस मामले में हाई कोर्ट ने जांच का आदेश जारी किया। केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को मामले की जांच दी गई। अवैध खनन मामले के सूत्रधार विजय द्विवेदी हैं। इनके कारण ही आज अखिलेश यादव को सीबीआई के समक्ष पेश होना होगा। विजय द्विवेदी को इस मामले में 2017 से सुरक्षा दी गई है। पिछले दिनों उनकी सुरक्षा हटाने का मामला सामने आया था। हालांकि, बाद में इस पर कार्रवाई की गई।
अवैध खनन मामले में अब तक क्या हुआ?
मई 2015: पट्टों की वैधता पर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई।
जनवरी 2016: 49 अवैध मौरंग खनन पट्टे निरस्त किए गए।
20 जून 2016: हाई कोर्ट ने सभी खनन पट्टे निरस्त किए।
28 जुलाई 2016: हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश जारी किया।
30 जुलाई 2017: सीबीआई की ओर से पहली एफआईआर दर्ज कराई गई।
2 जनवरी 2019: सीबीआई ने तत्कालीन डीएम समेत 11 पर एफआईआर दर्ज की।
जनवरी 2019: सीबीआई की ओर से दर्ज केस में ईडी की एंट्री हुई।
2021: पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रजापति के ठिकानों पर ईडी का छापा पड़ा।
28 फरवरी 2024: सीबीआई ने गवाह के तौर पर पूर्व सीएम अखिलेश यादव को पूछताछ के लिए बुलाया।
फिर शुरू हुई चर्चा
अखिलेश यादव को सीबीआई का समन आने के बाद एक बार फिर हमीरपुर खनन मामले की चर्चा शुरू हो गई है। बड़े पैमाने पर हुए अवैध खनन को लेकर हमीरपुर के वकील विजय द्विवेदी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी। दरअसल, 2012-13 में हाई कोर्ट के बाद भी 17 खनन के पट्टों से अवैध मौरंग खनन की शुरुआत हुई। यह मामला 68 मौरंग खनन के पट्टों तक पहुंच गया।
जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए 28 जुलाई 2016 को हाई कोर्ट तत्कालीन न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने इसकी सीबीआई जांच का आदेश दिया। याचिकाकर्ता विजय द्विवेदी बताते हैं कि 2012-13 में पहले 17 और फिर 51 मौरंग खनन के पट्टे नियम के खिलाफ किए गए। पट्टाधारकों ने अवैध खनन से अरबों की राशि कमाई।
इन पर दर्ज हुआ केस
हमीरपुर अवैध खनन केस में तत्कालीन डीएम बी. चंद्रकला को आरोपी बनाया गया है। उनके अलावा पूर्व एमएलसी मौरंग कारोबारी रमेश मिश्रा, उनके भाई पट्टाधारक दिनेश मिश्रा, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संजय दीक्षित, उनके पिता पट्टाधारक सत्यदेव दीक्षित, तत्कालीन खनिज अधिकारी मुईनुद्दीन, खनिज लिपिक रामआसरे, पट्टाधारक अंबिका तिवारी उर्फ उर्फ बबलू, करन सिंह, रामऔतार सहित कुल 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
-एजेंसी
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