हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार पर संकट गहरा होता जा रहा है. राज्य में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार को एक और बड़ा झटका लगा है.
मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने पद इस्तीफा दे दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने शिमला में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में इसकी घोषणा की.
उन्होंने कहा, “जनता के लिए कड़े फ़ैसले लेने पड़ते हैं. वर्तमान समय में मेरा मंत्री पद पर बने रहना ठीक नहीं है इसलिए मैं मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे रहा हूं. हम चाहेंगे कि सरकार बची रहे. मैंने पार्टी हाईकमान को पूरी बात बता दी है और अब उन्हें तय करना है कि वो आगे क्या करना चाहते हैं. आगे हम क्या करेंगे इसके लिए चर्चा करके फ़ैसला लिया जाएगा.”
हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा की एक सीट के लिए हुए मतदान में कांग्रेस के छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की.
इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को हरा कर बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन की जीत हुई.
बुधवार को विक्रमादित्य सिंह मीडिया के सामने आए और उन्होंने कहा, ”हिमाचल की जनता ने कांग्रेस को बहुमत दिया था और हम इसे संभाल नहीं पा रहे हैं. लेकिन हमें इसकी पृष्ठभूमि में जाना होगा. जिन परिस्थितियों में कांग्रेस की सरकार बनी, उसके बारे में मैं कुछ कहना चाहता हूँ. 2022 में जब हिमाचल में विधानसभा चुनाव हुआ तो सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया. पूरे कैंपेन में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नाम का इस्तेमाल किया गया.”
विक्रमादित्य सिंह ने कहा, ”ऐसी कोई होर्डिंग नहीं थी, जिस पर वीरभद्र सिंह की तस्वीर नहीं थी. मतदान से एक दिन पहले पार्टी की तरफ़ से अख़बारों में विज्ञापन दिया गया और वीरभद्र सिंह की तस्वीर के साथ कहा गया कि उन्हें याद रखना. जिन्होंने हमें समर्थन दिया, उनके प्रति मेरी जवाबदेही है. मेरे लिए यह भरोसा ज़्यादा बड़ा है न कि पद. लेकिन पिछले एक साल में विधायकों की अनदेखी हुई है.
विधायकों की आवाज़ दबाने की कोशिश की गई है. लगातार इन विषयों को पार्टी हाईकमान के सामने उठाया गया है लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया गया. इसी का नतीजा है कि हम यहाँ पहुँच गए हैं.”
उत्तर भारत में हिमाचल प्रदेश एकमात्र राज्य है, जहाँ कांग्रेस की सरकार है लेकिन यहां भी कांग्रेस अपनी सरकार खोती दिख रही है.
-एजेंसी
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