चौतरफा आलोचना के बाद अमेरिका की अकड़ ढीली, भारत को देगा किलर ड्रोन

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इससे पहले रिपोर्ट सामने आई थी कि खालिस्‍तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्‍नू की हत्‍या की साजिश की जांच को लेकर अमेरिकी संसद ने इस डील को रोक दिया है। इसके बाद अमेरिका की चौतरफा आलोचना शुरू हो गई। यही नहीं, उसकी भारत के साथ दोस्‍ती पर सवाल उठाए जाने लगे। वह भी तब जब चीन बहुत तेजी से हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपनी दादागिरी बढ़ा रहा है।

अमेरिका का कहना है कि चीन को रोकने के लिए भारत उसका इस क्षेत्र में बड़ा सहयोगी देश है। ड्रोन डील को रोकने से उसके दावे पर सवाल उठने लगे। ये ड्रोन अत्‍यधिक ऊंचाई पर और लंबे समय तक उड़ान भरने की तकनीक से लैस हैं। इनमें से 15 ड्रोन भारतीय नौसेना को और बाकी 8-8 इंडियन आर्मी और एयरफोर्स को मिलेंगे।

ड्रोन डील पर डोवाल की नजर

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी पिछले 10 सालों में काफी मजबूत हुई है। यह ड्रोन डील इस साझेदारी को और आगे बढ़ाएगी। उन्होंने सफाई दी कि अमेरिकी कानून के मुताबिक हथियार डील के लिए संसद की मंजूरी ज़रूरी होती है और संसद के सदस्यों से बातचीत के बाद ही आधिकारिक घोषणा की जाती है।

जनरल एटामिक कंपनी ने यह भी बताया कि GE-414 इंजन की डील प्रगति पर है और इसकी जानकारी मोदी सरकार को शीर्षस्‍थ स्‍तर पर दे दी गई है। इस ड्रोन और एयरक्राफ्ट इंजन के डील को भारत और अमेरिका के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार देख रहे हैं।

भारत की नौसेना पहले से ही दो सी गार्डियन ड्रोन का इस्‍तेमाल कर रही है। इससे पहले आई रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत और अमेरिका इस प्रस्तावित समझौते में कीमत समेत विभिन्न पहलुओं पर गौर कर रहे हैं लेकिन सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश को लेकर अमेरिका द्वारा भारत पर आरोपों के बाद यह वार्ता प्रक्रिया धीमी हो गयी थी।

भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि करोड़ों रुपये के सौदे पर दोनों पक्षों के बीच बातचीत चल रही है लेकिन उन्होंने इस पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी कि ड्रोन खरीद को कब तक अंतिम रूप दिया जाएगा।

चीन से निपटने के ड्रोन ले रहा भारत

भारत अंतर-सरकारी ढांचे के तहत अमेरिका से 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर सशस्त्र ड्रोन खरीदने को लेकर एक ऐतिहासिक सौदे पर विचार कर रहा है। अमेरिका की प्रमुख रक्षा कंपनी जनरल एटॉमिक्स से ड्रोन के अधिग्रहण के लिए भारत के अनुरोध पत्र पर वॉशिंगटन की प्रतिक्रिया के बाद अमेरिका और भारत के अधिकारी खरीद पर बातचीत कर रहे हैं। भारत तीनों सेनाओं के निगरानी तंत्र को मजबूत करने के लिए, विशेष रूप से चीन के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर निगरानी तंत्र को मजबूत करने के लिए ये ड्रोन खरीद रहा है।

-एजेंसी


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