भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर दुनिया में मोदी सरकार के पोस्टर बॉय बन चुके हैं। भारतीय उन्हें पसंद करते हैं। उनकी सादगी हो या दो टूक जवाब देने का अंदाज, भारत का पक्ष वह पुरजोर तरीके से रखते हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद का संकट हो या कनाडा से मौजूदा विवाद, जयशंकर ने अपनी साहसिक कूटनीति से दुनिया को आईना दिखाने का काम किया है। जब से कनाडा के पीएम और विदेश मंत्री ने एक खालिस्तानी आतंकी की हत्या में भारत का नाम लिया है दोनों देशों के संबंधों में खटास आ गई है। ऐसे माहौल में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के लिए अमेरिका गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने धारदार तर्कों और तीखे बयानों से कनाडा को खूब सुनाया। लोग कहने लगे हैं कि विदेश मंत्री जयशंकर यूं ही ‘मोदी के मिसाइल मिनिस्टर’ नहीं कहे जाते।
दरअसल, खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की कथित जांच रिपोर्ट के बहाने कनाडा के पीएम राजनीतिक रोटियां सेंकने लगे थे। वोट बैंक बढ़ाने की चाह थी। ‘फाइव आई’ डील का हवाला देते हुए अमेरिका और दूसरे देश भी हाथ सेंकने लगे लेकिन जयशंकर ने जो कहा अब वो बातें इन्हें खल रही होंगी। जी हां, भारत के विदेश मंत्री ने कहा कि वे दिन बीत गए जब कुछ देश एजेंडा तय करते थे और उम्मीद करते थे कि दूसरे भी उनकी बातें मान लें। संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान और अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप की कवायद चुनिंदा तरीके से नहीं की जा सकती।
ट्रूडो को जयशंकर ने लपेटा
डिप्लोमेसी में विशेष रूप से पीएम के स्तर पर किसी देश के खिलाफ बोलने से बचा जाता है लेकिन जस्टिन ट्रूडो ने जिस तरह की अपरिपक्वता दिखाई है, उसकी निंदा उनके अपने देश में हो रही है। विपक्षी नेता ही नहीं, भारत सरकार भी सबूत मांग रही है लेकिन ट्रूडो खामोश हैं।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ कहा कि भारत ने कनाडा को बता दिया है कि यह हमारी नीति नहीं है। इस मामले में विशिष्ट और प्रासंगिक सूचना पर विचार करने के लिए हम तैयार हैं। जयशंकर ने आगे कहा कि हमारी चिंता ये है कि कनाडा में सियासी कारणों से अलगाववादी गतिविधियों के लिए माकूल माहौल मिल रहा है। भारतीय राजनयिकों को धमकियां दी गई हैं और मिशनों पर हमले की भी कोशिश हुई। लोकतंत्र के नाम पर भारत की राजनीति में दखल दिया गया।
कूटनीति के महारथी की तरह जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर दूसरे कार्यक्रमों में कनाडा को जवाब दिया। वह संयुक्त राष्ट्र महासभा में कनाडा पर नहीं बोले। पाकिस्तान जैसे देश इस वैश्विक मंच का गलत इस्तेमाल करते रहे हैं ऐसे में भारत ने खुद गलती नहीं की।
पहले देखा जाता था कि भारत के नेता विवादित सवालों से बचने की कोशिश करते थे लेकिन जयशंकर ‘स्ट्राइक’ करते हैं। जब उनसे निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों का हाथ होने के ट्रूडो के आरोपों पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ‘हमने कनाडा से जो कहा है, उसे आपके साथ बहुत स्पष्टता से कहना चाहूंगा। पहली बात कि यह भारत सरकार की नीति नहीं है। दूसरा, हमने कहा है कि अगर कनाडा के पास कोई खास सूचना है, कुछ प्रासंगिक जानकारी है तो हमें बताइए। हम विचार करने के लिए तैयार हैं।’ भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत केनेथ जस्टर उनसे बातचीत कर रहे थे।
जयशंकर ने कनाडा की मंशा पर ही सवाल उठाते हुए कह दिया कि आपको संदर्भ समझना होगा क्योंकि इस संदर्भ के बिना तस्वीर स्पष्ट नहीं होगी। कनाडा सरकार को सुनाते हुए उन्होंने कहा, ‘आपको यह समझना पड़ेगा कि पिछले कुछ साल में कनाडा में अलगाववादी ताकतों, हिंसा, कट्टरपंथ से जुड़े काफी संगठित अपराध देखे गए हैं। इनका आपस में बहुत गहरा संबंध है।’
विदेश मंत्री ने कहा कि सच तो यह है कि हम कनाडाई अधिकारियों से कार्रवाई के लिए लगातार कहते रहे हैं। वहां मौजूद कई गैंगस्टरों के बारे में जानकारी दी गई। प्रत्यर्पण के कई अनुरोध किए गए लेकिन… वहां एक अलग तरह का माहौल है।
प्रॉपगेंडा की हवा निकाली
कनाडा की तरफ से बार-बार कहा जा रहा है कि उसने कथित तौर पर यह सबूत दिए हैं कि भारतीय अधिकारियों को निज्जर पर हमले की जानकारी थी। जयशंकर ने पूछा, ‘क्या आप कह रहे हैं कि कनाडाई अधिकारियों ने हमें दस्तावेज दिए?’ उन्होंने कहा, ‘मैंने कहा है कि अगर कोई हमें विशिष्ट या प्रासंगिक सूचना देता है तो हम उस पर विचार करने के लिए तैयार हैं।’ अगर जानकारी मिलती तो उस पर विचार जरूर होता।
यूएन के मंच से भी दहाड़ा
संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में जयशंकर ने UN के सदस्य देशों को आतंकवाद पर प्रतिक्रिया देने में ‘राजनीतिक सहूलियत’ लेने पर खूब सुनाया। उन्होंने कहा कि इसे आड़े नहीं आने देना चाहिए। अब कुछ एक्सपर्ट तो इस बात पर भी जोर दे रहे हैं कि जयशंकर ने परिपक्वता का परिचय देते हुए कनाडा के आरोप पर ये नहीं कहा कि हमने नहीं किया। उन्होंने कहा, ये हमारी सरकार की पॉलिसी नहीं है।
इस तरह से देखें तो जयशंकर चौतरफा बोलते हैं। चीन पर हमेशा सख्त रहते हैं। यूरोप के बारे में कहते हैं कि उन्हें यह नहीं समझना चाहिए कि उनकी समस्या दुनिया की समस्या है। रूस से तेल लेने पर आंकड़े रखते हुए आईना दिखाते हैं कि भारत से ज्यादा तेल रोज यूरोप लेता है।
Compiled: up18 News