आगरा: ‘शायद उस दिन संविधान की पेटी का ताला टूटे जिस दिन किसी मंत्री की बेटी का जिस्म निचोड़ा जाएगा’ यह पंक्तियां उन तख्तों पर लिखी हुई थी जिन्हें लेकर महिलाएं और बच्चियां सड़कों पर उतर प्रदर्शन कर रहीं थीं। यह सभी महिलाएं और बच्चियां मणिपुर में सामूहिक रेप कांड के विरोध में सड़कों पर उतरी थी। उन्होंने इस घटना की घोर निंदा की और नारों को जोर जोर से लगा रही थी। नरीपुरा से शुरू हुआ यह जुलूस खेरिया मोड़ चौराहे तक पहुंचा। पुलिस को जानकारी हुई तो पुलिस हरकत में आई। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को वही रोक दिया और समझा-बुझाकर उन्हें शांत किया। जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति महोदय के नाम ज्ञापन दिया और मणिपुर की घटना को लेकर मणिपुर की सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए उसे बर्खास्त करने की मांग उठाई।
समाजसेविका सावित्री चाहर का कहना था कि मणिपुर की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। पहले महिला को निर्वस्त्र किया गया। फिर पूरे गांव में घुमाया गया, उसके बाद उनके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ। इस घटना के बाद भी वहां की सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। पीएम नरेंद्र मोदी ने तो अपनी चुप्पी तक नहीं तोड़ी। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि अगर किसी मंत्री की बेटी के साथ इस तरह की घटना होती तो शायद सरकार और उनके नुमाइंदों को बेटियों का दर्द समझ में आता।
कई महीनों से जल रहा है मणिपुर
प्रदर्शन कर रही महिलाओं ने कहा कि ‘दो समुदाय के बीच हो रहे झगड़े के चलते मणिपुर पिछले कई महीनों से चल रहा है लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने चुप्पी साध रखी है और खुली छूट दे दी है जिससे उपद्रवी वहां खुलकर नंगा नाच कर रहे हैं।’ प्रदर्शन में शामिल महिलाएं और बच्चों ने दो टूक शब्दों में कहा कि अगर सरकार इन दंगों पर काबू नहीं पा सकती, दंगाइयों को जेल नहीं भेज सकती तो वहां पर राष्ट्रपति शासन लागू कर देना चाहिए।