गरीबों को सता रहा बेघर होने का खतरा
70 परिवारों को जारी किए नोटिस
लोग काट रहे जनप्रतिनिधियों के चक्कर
आगरा: सरकारी विभागों का आपसी तालमेल न होना लोहामंडी राजनगर के लोगों के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है। प्रशासन ने लोगों को 90 वर्ष के लिए पट्टे पर भूमि दे दी। डूडा ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास बनवा दिए। उसके बाद रेलवे ने अपनी संपत्ति बताते हुए मकानों को तोड़ने के लिए 70 परिवारों को नोटिस थमा दिए। नोटिस को लेकर स्थानीय लोग जनप्रतिनिधियों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन कहीं से राहत नहीं मिली।
राजनगर लोहामंडी रेलवे लाइन के किनारे बस्ती बसी हुई है। इस बस्ती में सरकार द्वारा 14 वर्ष पूर्व द्वारा सर्वजन हिताय गरीब आवास (स्लम एरिया) मालिकाना हक योजना के तहत 90 वर्षों के लिए लोगों को भूमि पट्टे पर दे दी।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत डूडा ने मकान बनवा दिए लेकिन अब रेलवे ने अपना अधिकार बताते हुए मकान खाली करने के लिए नोटिस जारी कर दिए हैं। यहां लगभग 20 झुग्गी झोपड़ियां भी हैं। जिनमें लोग विगत 15 वर्षों से रह रहे हैं। उनको भी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास का लाभ दिया गया है।
चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस यहां की झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा पर लंबे समय से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने यहां के दर्जनों बच्चों का स्कूल में दाखिला कराया है तथा शाम को खुद उन्हें पढ़ाने भी जाते हैं। विगत कुछ दिनों से लोग परेशान हैं। बच्चों को पढ़ने भी नहीं भेज रहे हैं। जब उन्होंने कारण पूछा तो बताया कि उनको बेदखल करने के लिए रेलवे द्वारा नोटिस जारी किया गया है। नरेश पारस द्वारा भूमि संबंधी दस्तावेजों का बारीकी से अध्ययन किया गया तो विभागों का आपसी समन्वय ना होना दिखाई दिया। जिसके चलते यहां के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। समस्या के समाधान के लिए स्थानीय लोग महिला एवं बाल विकास मंत्री बेबी रानी मौर्य, उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय तथा केंद्रीय कानून राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल से मिल चुके हैं लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ।
नरेश पारस ने कहा कि पट्टा धारकों को बेदखल करना अनुचित है। जबकि उनको सरकारी योजनाओं का भी लाभ दिया गया। बिना जांच पड़ताल के ये कैसे संभव है। यह सरकारी धन का दुरुपयोग है। यदि भूमि रेलवे की है तो सरकार द्वारा इनको पट्टा तथा पीएम आवास योजना नहीं मिलना चाहिए था। प्रशासन तथा रेलवे को तथ्यों का बारीकी से अध्ययन करके ही कोई कार्यवाही अमल में लानी चाहिए। साथ ही आश्रय उजाड़ने से पूर्व प्रशासन इनके पुनर्वास की व्यवस्था करें।