अदालतों पर क्यों भड़के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूछा… क्या हम लोकतांत्रिक देश हैं?

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83वें पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में बोले जगदीप धनखड़

इस दौरान उपराष्ट्रपति ने संसद के बनाए कानून को सुप्रीम कोर्ट से रद्द करने पर जमकर नाराजगी जताई। इस दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि ससंद ने जो कानून बनाया है, क्या उस पर जब कोर्ट की मुहर लगेगी, तभी वो कानून माना जाएगा?

जयपुर में 83वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण में धनखड़ ने कहा कि मैं कोर्ट को सम्मान के साथ कहना चाहता हूं कि इससे मैं सहमत नहीं, हाउस बदलाव कर सकता है। यह सदन बताए कि क्या इसे किया जा सकता है? धनखड़ ने एक बार फिर न्यायपालिका और विधायिका में तुलना करते हुए दोनों की शक्तियों का मुद्दा उठाया।

जयपुर में जारी है AIPOC

उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि संसदीय संप्रभुता और स्वायत्तता को समझौता करने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि यह लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए सर्वोच्च है। उन्होंने आगे कहा कि विधायिका के पास न्यायिक आदेश लिखने की शक्ति नहीं है, कार्यपालिका और न्यायपालिका के पास कानून बनाने का अधिकार नहीं है। आपको बता दें कि राजस्थान विधानसभा में 11 जनवरी से दो दिन तक अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन हो रहा है, जिसमें देश भर के विधानसभा और विधान परिषद स्पीकर्स हिस्सा ले रहे हैं।

ओम बिरला ने बताया एक-दूसरे के सम्मान करने का महत्व

इसके पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के एक दूसरे का सम्मान करने के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि विधायिकाओं ने हमेशा न्यायपालिका की शक्तियों और अधिकारों का सम्मान किया है और न्यायपालिका से संविधान द्वारा अनिवार्य शक्तियों को बांट कर रखने की अपेक्षा की गई थी। उन्होंने कहा कि तीनों शाखाओं को आपसी विश्वास और सद्भाव के साथ काम करना चाहिए।

Compiled: up18 News