‘स्कैम 1992’ जैसी वेब सीरीज बनाने वाले डायरेक्टर हंसल मेहता पिछले काफी समय से अपनी फिल्म ‘फराज’ को लेकर चर्चा में हैं। हंसल मेहता ने जब से अपनी इस फिल्म की अनाउंसमेंट की, तभी से इसकी रिलीज पर रोक की मांग की जा रही थी। हंसल मेहता की यह फिल्म ‘फराज’ 2016 में बांग्लादेश में हुए आतंकी हमले पर आधारित है। इस फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने के लिए कुछ महीने पहले एक याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में दायर की गई थी, जिसे कोर्ट ने बाद में खारिज कर दिया। यही नहीं, ‘फराज’ की रिलीज का रास्ता भी साफ कर दिया गया था लेकिन अभी भी इस फिल्म की रिलीज की राह में रोड़े अटके हैं।
कुछ वकील Faraaz की रिलीज को रुकवाने की मांग लेकर हाई कोर्ट पहुंच गए हैं। ‘फराज’ के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल ने हंसी के लहजे में कहा कि हम तो सिर्फ एक ही फराज को जानते हैं… हम सिर्फ अहमद फराज से परिचित हैं, जिन्होंने लिखा है- सिलसिले तोड़ गया वो सभी जाते जाते, वर्ना इतने तो मरासिम थे कि आते जाते शिकवा-ए-ज़ुल्मत-ए-शब से तो कहीं बेहतर था, अपने हिस्से की कोई शम्अ’ जलाते जाते।’
जनवरी में होगी याचिका पर सुनवाई, कोर्ट ने बताईं खामियां
कोर्ट ने कहा कि अब ‘फराज’ को रोकने की याचिका पर अगली सुनवाई जनवरी 2023 में होगी। कोर्ट के मुताबिक याचिका में कुछ आपत्तियां है, जिन्हें दूर किया जाए। साथ ही यह भी कहा कि फिल्म पहले ही दिखाई जा चुकी है। लोग इमोशन और सेंटीमेंट के लिए ही मूवी देखने जाते हैं, वरना कोर्ट आ जाते।
क्यों की जा रही ‘फराज’ की रिलीज पर रोक की मांग?
मालूम हो कि 2016 में बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हुए आतंकी हमले में मारी गई दो लड़कियां की मांओं ने ‘फराज’ की रिलीज पर अंतरिम रोक लगाने के लिए फिल्म के खिलाफ केस दर्ज करवाया था। उन्होंने आपत्ति जताई था कि फिल्म में उनकी बेटियों को गलत तरीके से दिखाया गया है और छवि खराब की गई है। मृतक लड़कियों के परिवार वालों ने तब कोर्ट में कहा था कि उन्हें गुमनामी में रहने का अधिकार है और वह नहीं चाहता कि उनकी बेटियों के बारे में फिल्म में कहीं कुछ दिखाया जाए।
Compiled: up18 News
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