19वीं सदी की एक कविता के सम्मान में बनी मूर्ति पर इटली में क्यों हो रहा है विवाद?

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इटली में तांबे से बनी एक महिला की मूर्ति पर विवाद हो गया है. इस मूर्ति को 19वीं सदी की एक कविता के सम्मान में बनाया गया है लेकिन अब इसे लेकर ‘सेक्सिज़्म’ (महिला विरोधी विचारधारा) पर बहस छिड़ गई है.

इस मूर्ति में एक महिला को कम और पारदर्शी कपड़ों में दिखाया गया है. मूर्ति में महिला का एक हाथ उसके वक्ष पर दिखाया गया है.

अब बात इतनी बढ़ गई है कि कई नेता इस मूर्ति को हटाने की माँग कर रहे हैं.

यह मूर्ति इटली के दक्षिण में बसे शहर सप्री शहर में मशहूर इतालवी कवि लुइजी मिरकन्तिनी की लिखी कविता ‘ला स्पीगोलात्रिचे दी सप्री’ के सम्मान में बनवाई गई है.

क्यों छिड़ा है विवाद?

इस मूर्ति को लेकर इटली के राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में बहस छिड़ गई है. बहस के पीछे इटली के इतिहास में महिलाओं की सक्रिय भूमिका है.

सांस लॉरा बोलद्रीनी ने मूर्ति को उन महिलाओं और इतिहास का अपमान बताया है जिन्हें ख़ुशी से याद करना चाहिए.

उन्होंने ट्वीट किया, “कोई संस्थान भला महिलाओं को सिर्फ़ एक सेक्शुअल तरीके से दिखाए गए शरीर के रूप में स्वीकार कैसे कर लेता है. पुरुषवाद इटली की एक बड़ी बुराई है.”

19 वीं सदी की जिस कविता के सम्मान में यह मूर्ति बनाई गई है उसे एक महिला के नज़रिए से लिखा गया है जो खेतों में छूटे हुए अनाज इकट्ठा करती है.

कविता की नायिका अनाज इकट्ठा करने का काम छोड़कर इटली की उस क्रांति में शामिल हो जाती है जिसमें 300 लोग मारे गए थे.

इस मूर्ति का उद्घाटन पिछले हफ्ते को इटली के पूर्व प्रधानमंत्री जोजेप्पे कॉन्ते, राष्ट्रीय और स्थानीय नेताओं की मौजूदगी में किया गया.

मूर्ति गिराने की माँग

महिला नेताओं के एक समूह ने इस मूर्ति को गिराने की माँग की है. उन्होंने एक बयान जारी करके कहा, “एक बार फिर हमें अपने आप को महज सेक्शुअल तरीक से बनाए गए एक शरीर के रूप में देखकर शर्मिंदा होना पड़ रहा है.”

बयान के मुताबिक़ “इस मूर्ति का सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे से कोई जुड़ाव नहीं है और न ही इसकी कोई आत्मा है.”
डेमोक्रेटिक पार्टी की सांसद मोनिका चिरिन्ना ने इसे इतिहास और महिलाओं के मुंह पर एक थप्पड़ कहा है.

उन्होंने ट्वीट किया, “यह मूर्ति अनाज इकट्ठा करने वाली उस महिला की प्रतिबद्धता के बारे में कुछ नहीं बताती जिसने दमनकर्ताओं के ख़िलाफ़ खड़े होने के लिए काम पर जाना छोड़ दिया था.”

वहीं, शहर के मेयर एंटोनियो जेंटीले ने अपनी एक फ़ेसबुक पोस्ट में मूर्ति का बचाव किया है.

उन्होंने इसे कलाकार इमैनुएले स्तिफ़ानो का “कुशलता और गहरी समझ” से किया गया काम बताया.

मेयर ने कहा कि उनका शहर अपने मूल्यों, सिद्धांतों और परंपराओं पर सवाल करने के लिए राज़ी नहीं है.

मूर्ति बनाने वाले कलाकार ने क्या कहा?

मूर्तिकार स्तिफ़ानो ने भी इस पूरे मसले पर एक फ़ेसबुक पोस्ट लिखी और कहा कि वो हालिया आलोचनाओं से नाराज़ और निराश हैं.

उन्होंने मूर्ति का यह कहकर बचाव किया है कि वो हमेशा मूर्तियों को कम-से-कम कपड़ों से ढँकने की कोशिश करते हैं, फिर चाहे वो पुरुष की मूर्ति हो या महिला की.

उन्होंने कहा कि इस मूर्ति के संदर्भ में वो एक ‘आदर्श महिला’, उसके ‘गर्व’ और उसकी ‘चेतना की जागृति’ को दिखाना चाहते थे.

स्तिफ़ानो ने यह भी कहा कि मूर्ति की डिज़ाइन को अधिकारियों ने मंज़ूरी दी थी.

-BBC


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