हम आपको बताते हैं! डार्क वेब क्या है और यह सामान्य इंटरनेट वर्ल्ड से अलग क्यों हैं

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डार्क वेब इंटरनेट का वह हिस्सा है, जिसका इस्तेमाल अवैध गतिविधियों, ड्रग्स की सेलिंग और हैकिंग करने वाले क्रिमिनल्स की ओर से किया जाता है। मुंबई की एक बड़ी स्वीट शॉप के ओनर का बेटा डार्क वेब पर ड्रग्स बेचने के चलते अरेस्ट किया गया है। पुलिस ने बताया कि आरोपी और उसका एक दोस्त कॉलेज स्टूडेंट्स को ड्रग्स बेच रहे थे।

डार्क वेब क्या है और यह सामान्य इंटरनेट वर्ल्ड से अलग क्यों हैं, हम आपको बताते हैं। जरूरी है कि इंटरनेट का इस्तेमाल करते वक्त इस खतरनाक हिस्से से बचकर रहा जाए।

छुपा हुआ है इंटरनेट का यह हिस्सा

डार्क वेब दरअसल इंटरनेट का वह बड़ा हिस्सा है, जहां तक सामान्य यूजर्स की पहुंच नहीं होती। इस हिस्से को इंटरनेट का अंडरवर्ल्ड माना जा सकता है क्योंकि यहां खतरनाक हथियारों, क्रेडिट और डेबिट कार्ड से जुड़े डीटेल्स, ईमेल अड्रेस, कॉन्टैक्ट डीटेल्स, फेक करंसी और ड्रग्स से जुड़ी सेल होती है। इंटरनेट का केवल कुछ प्रतिशत हिस्सा ही सामान्य यूजर्स एक्सेस कर पाते हैं।

ढेरों क्रिमनल्स और सेलर्स का जाल

डार्क वेब पर ज्यादातर हैकर्स, क्रिमिनल्स और देश-विदेश में बैठे ढेर सारे ऐसे लोग मौजूद होते हैं, जिन्हें इसे इस्तेमाल करना आता है। डार्क वेब पर ड्रग्स या ऐसी अवैध चीजें बेचने वाले लोगों की पहचान छुपी होती है। इस पर पेमेंट करने के बाद बायर को कोरियर से डिलीवरी भेजी जाती है या फिर एजेंट्स के जरिए फाइनल प्रोडक्ट पहुंचाते हैं।

खास ब्राउजर की पड़ती है जरूरत

डार्क वेब को सामान्य ब्राउजर पर एक्सेस नहीं किया जा सकता है। इसके लिए खास ब्राउजर की जरूरत होती है, जिससे यूजर की पहचान छुपी रहती है। इसके लिए Tor या Onion जैसे ब्राउजर का इस्तेमाल किया जाता है, जो डेटा रिकॉर्ड नहीं करते हैं।

अमेरिका ने बनाया था डार्क वेब

डार्क वेब दरअसल ऐसे यूजर्स का हथियार बन गया है, जो सामान्य इंटरनेट की दुनिया से छुपकर एक्टिव रहना चाहते हैं। इसको सबसे पहले US आर्मी की ओर से जासूसी के लिए बनाया गया था, जिससे सरकारी जासूस बिना पहचान जाहिए किए डेटा शेयर या एक्सचेंज कर सकें। इसे दूसरे देशों की जासूसी के लिए बनाया गया था।

हैंकिंग और ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर

डार्क वेब पर कई ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर भी उपलब्ध है। ऐसे सॉफ्टवेयर्स का इस्तेमाल हैकिंग, VOIP पर फेक फोन नंबर जेनरेट करने के लिए हो सकता है। डार्क वेब पर खतरनाक प्रोडक्ट्स बेचने वालों की पहचान पता करना बहुत मुश्किल होता है।

बिटकॉइन में होता है पेमेंट

डार्क वेब पर ज्यादातर हैकर्स और क्रिमिनल्स मौजूद होते हैं। ऐसे में किसी भी तरह का पेमेंट डीटेल शेयर करना भी बड़ी गलती साबित हो सकता है। ऐसे में पेमेंट डिजिटल करंसी और बिटकॉइन में ही होता है।

डार्क वेब पर जाना बड़ी गलती

डार्क वेब पर हैकर्स हमेशा नए यूजर्स की तलाश में होते हैं, जिन्हें इसका इस्तेमाल करना नहीं आता। ऐसे में नए यूजर्स को डार्क वेब पर जाने की गलती नहीं करनी चाहिए, वरना डेटा से लेकर आइडेंटिटी तक चोरी हो सकती है। कई हैकर्स तो बैंक अकाउंट तक साफ कर देते हैं।

-एजेंसियां