क़लमकार। पुराने ज़माने में इंटरनेट नही था, गूगल ट्रांसलेट नही था। लाइब्रेरी थी पर भाषा का ज्ञान होना आवश्यक था। आज हिंदी मीडियम पढ़ने वाला बच्चा गूगल ट्रांसलेट कर अंग्रेज़ी की कोई भी किताब पढ़ सकता है, किसी भी किताब की जानकारी इंटरनेट से ले सकता है,जो पुराने जमाने में उपलब्ध नही था।लेकिन इसके साथ-साथ व्हाट्सऐप, फेकबुक आदि जैसे वायरस भी हमारी जिंदगियो में आ चुके है, जो जहिलपने की सामग्री बांटने का साधन बने हुए है। उन लोगो के लिए जो पढ़ने के नाम पर अज्ञानता ले कर आ रहे है। व्हाट्सएप इन लोगो का एक मात्र ज्ञान स्योत्र है।ऐसे लोग जब राष्ट्रवाद धर्म देशभक्ति की बात करते है,तो समझ जाएं कि इनको ये सब कौन और क्यों सीखा रहे है..?
और हम समझते थे कि आने वाले समय मे शिक्षा का स्तर और ऊपर उठेगा जो हमारे नसीब में नही था,पर यहां गाड़ी उल्टी दिशा में घूम रही है?
भुज फ़िल्म ऐसे ही लोगो को छाती फुलाने का मौका देने आ रही है, जहां जो मर्ज़ी आये परोस दो। बस झंडा नही फटना चाहिए। तालियां जोर की बजेगी। ट्रेलर में सारी हवाई पट्टी, टैंक सड़के तबाह हो जाती है, बस एक चीज को आंच भी नही आती..? इससे पहले तान्हा जी को भी इन जैसो ने इतिहास मान अपनी छाती फुलाई थी। सारा राष्ट्रवाद सारी देशभक्ति जुमलेवजी तक सीमित कर दी गयी है, ताकि लोग इसी चक्कर में लगे रहे। असल मुद्दे इनके जहन में ही ना आये।
ये जो अफीम चटायी जा रही है। ये घातक है। पर इस नशे का मज़ा ही अलग है। चाटुकार तो ये भी लिखने में गुरेज नही करेंगे कि जब भगवन मोदी जी 20 वर्ष के थे तो भुज में फौज के जवान पाकिस्तान के सामने अपना शौर्य दिखला रहे थे
अभी एक बैनर लगाया एक नेता ने जिसमे लिखा था
वेक्सीन लगवायी क्या..?
इसमें अपना नाम नही दिया उसने, कि मैं लगवा रहा हूँ मुझे श्रेय दो। लेकिन फ़र्ज़ी देशभक्तों की हीन भावना देखिये नीचे एक लाइन उन बैनरों पर लिखवा रहे है “जो मोदी जी मुफ्त दे रहे है’। ये सारे देश का हाल है। उधर ग़रीब जनता महँगाई से बहुत परेशान हैं। लेकिन सरकार को रोज़ रोज नए नए जुमले देने से मतलब हैं ग़रीब मरे तो मरे। जहां नकली सिम्बलों की जय जय कार हो रही है और असली प्रतीकों को मां बहन की गालियां पड़ रही है। कल को कांग्रेसियो को भी चाहिए कि वो ऐसी शरारते करे। जिसमे लिखवाए कि भुज में जो शौर्य दिखाया फौज और आम जनता ने उसमें इंदिरा जी की प्रेरणा थी। भुज वाले जितना मसाला डाल सकते थे उन्होंने डाला है अपनी फिल्म में उन्हें पता है कि यहां मूर्खो की कमी नही जो तालियां पीटने को हर दम बेताब रहती है।
-up18 News
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