आगरा में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से युवतियों के चेहरे पर बाल, मोटापा और मासिक धर्म अनियतिम हो रहे हैं। डॉ. अनुश्री रावत, कंसल्टेंट गयनेकोलॉजिस्ट , आगरा वुमन वैलनेस सेंटर ,आगरा का कहना है कि जीवन शैली परिवर्तन और योगासन ही है सफल इलाज, डॉ. अनुश्री रावत, कंसल्टेंट गयनेकोलॉजिस्ट , आगरा वुमन वैलनेस सेंटर ,आगरा का कहना है कि भारत में हर 4 महिलाओं में से 1 महिला पीसीओएस से पीड़ित है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ एंड रिसर्च के अनुसार हमारे देश में करीब 10 प्रतिशत महिला आबादी पीसीओडी की समस्या से जूझ रही है। ये आकंड़े इस समस्या की गंभीरता को बखूबी तरीके से बयां करते हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि महिलाओं को इसकी आवश्यक जानकारी दी जाए ताकि वे इसके प्रति सर्तक रह सके और यदि उन्हें कभी पीसीओएस हो तो उस स्थिति में वह इसका इलाज सही तरीके से करा सके।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम महिला के असंतुलित हॉर्मोन की वजह से होती है। यह बीमारी मुख्य रूप से मासिक धर्म के अनियमित होने पर भी हो सकती है। सामान्य तौर पर मनुष्यों में शरीर की सभी प्रक्रियाओं के सही तरह से काम करने के लिए “पुरुष”और “महिला”दोनों हार्मोन की आवश्यकता होती है, लेकिन पीसीओडी वाली महिला में बहुत अधिक पुरुष हॉर्मोन की मात्रा सामान्य से ज़्यादा बढ़ जाती हैं। जिस कारण से अंडाशय में समस्या पैदा होने लगती है और साथ ही अनियमित पीरियड्स की समस्या भी हो सकती है। 16–35 वर्ष की महिलाएँ इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होती है।
हालांकि,पीसीओएस का इलाज संभव है, लेकिन यदि काफी समय तक इसका इलाज न किया जाए तो गंभीर रूप ले सकती है और यह महिला बांझपन का कारण भी बन सकता है।
पीसीओडी के लक्षण –
अनचाही जगहों में बालों का विकास – शरीर और चेहरे पर सामान्य से ज़्यादा बालों के उगने को अतिरोमता यानि “Hirsutism” कहते है। इसमें चेहरे या ठोड़ी, स्तनों, पेट, या अंगूठे और पैर की उंगलियों जैसे स्थानों पर अनचाहे बाल उग सकते हैं।
बालों का झड़ना
वजन बढ़ना – पीसीओडी के कारण महिलाएं वजन बढ़ने की समस्या के साथ संघर्ष करती हैं या फिर उन्हें वजन कम करने में मुश्किलें होती है।
मुंहासे या तैलीय त्वचा
सोने में परेशानी – सोते समय परेशानी और हर समय थकान महसूस हो सकती है। साथ ही हॉर्मोन के परिवर्तन के कारण सिर दर्द की समस्या भी हो सकती है।
गर्भवती होने में परेशानी – पीसीओडी बांझपन के प्रमुख कारणों में से एक है।
पीरियड्स की समस्याएं – पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं या कई महीनों तक पीरियड्स आना बंद हो जाते है। या फिर पीरियड्स के दौरान बहुत भारी ब्लीडिंग हो सकती है।
हालांकि, पीसीओएस की समस्या अधिकांश महिलाओं में देखने को मिलती है , कुछ सावधानियों को बरते तो वह इसकी रोकथाम कर सकती है।
पौष्टिक भोजन करना,व्यायाम करना,बीएमआई को नियंत्रित रखना,डायबिटीज का इलाज कराना।हेल्थ चेकअप कराना- यह सबसे महत्वपूर्ण चीज है, जिसका ख्याल सभी महिलाओं को रखना चाहिए। यदि उन्हें शरीर में किसी बीमारी के लक्षण नज़र आते हैं तो वह समय रहते इसका इलाज करा सकें।योग हम पर सुक्ष्म व गहरे स्तर पर काम करता है। यह पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के लक्षणों का भी उपचार कर सकता है। पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के विशेष योगासन
- तितली आसन
- सुप्त बद्धकोणासन
- भारद्वाजासन
- चक्की चलनासन
- शवासन
- पद्म साधना
- सूर्य नमस्कार
पीसीओएस होने पर आप अपनी डाइट में यह बदलाव कर सकती है –
कम कार्बोहाइड्रेट्स वाले भोजन का सेवन करें और चीनी, मिठाई, नमकीन और ब्रेडखाने से परहेज़ करें , प्रोटीन की मात्रा अधिक लें जैसे पनीर, अण्डे, मांस या मछली का सेवन करें
होल ग्रेन्स जैसे की भूरे चावल, रागी या ओट्स खाएँ,फाइबर युक्त चीज़ों का सेवन करें जैसे की फल, स्प्राउट्स और सलाद , दालचीनी का सेवन करें क्योंकि यह शरीर में इंसुलिन लेवल (Insulin Level) को बढ़ने से रोकने में सक्षम है ,मुलहठी के सेवन से महिला के शरीर में मौजूद पुरुष हार्मोन में कमी आने लगती है जिससे पीसीओडी की समस्या में राहत मिलती है।
धूम्रपान व् शराब का सेवन बंद करें।
आजकल की आधुनिक जीवनशैली के कारण महिलाएं न वक़्त पर खाती हैं, ना सोती हैं और न ही खुद की सेहत का ख्याल रख पाती हैं।लाइफ में तेजी से बढ़ा स्ट्रेस, बदला हुआ लाइफस्टाइल, लेट नाइट तक जागना और फिर दिन में देर तक सोना, स्मोकिंग और ड्रिकिंग में महिलाओं का बढ़ता शौक आदि पीसीओडी के मुख्य कारण हो सकते हैं। इसी कारण से यह समस्या बढ़ती ही जा रही है और लाखों से भी अधिक महिलाएं पीसीओडी की समस्या से प्रभावित है।
पीसीओएसके लक्षण हर महिला के लिए अलग हो सकते हैं। यदि इनमें से कोई भी लक्षण नज़र आएं तो तुरंत अपनी दिनचर्या में बदलाव लाए, साथ ही डॉक्टर से परामर्श लें।