सास और बहू का रिश्ता सबसे अहम होता है और सबसे नाजुक भी। अगर यह रिश्ता अच्छा रहा तो महिला के लिए ससुराल में ढलना और और खुशी से जीना आसान हो जाता है। ऐसा न हो तो उसके लिए हर दिन किसी सजा जैसा बन जाता है। शादी की बात पर लड़कियों को सबसे ज्यादा इस बात की टेंशन रहती है कि उनकी सास से बनेगी या नहीं। मैरेज से पहले और बाद में हमेशा उसके आसपास वाले उसे सास से बहस न करने, उन्हें कभी ना न कहने जैसी सलाह भी देते दिखाई देते हैं। इस तरह के सुझाव मदर इन लॉ को खुश तो रख लेंगे लेकिन ये बहू को कभी भी सही मायनों में सास से इमोशनल बॉन्ड डेवलप नहीं करने देंगे। बेहतर यही है कि बहू जैसी है वैसी ही रहते हुए अपनी मदर इन लॉ के दिल में जगह बनाए। इससे जो बॉन्ड बनेगा, उसे कोई गलतफहमी तक तोड़ नहीं सकेगी।
सास के नेचर को समझना
शादी से पहले अक्सर लड़कियां अपने होने वाले पति से सास के नेचर से जुड़े कई सवाल करती हैं, लेकिन ऐसा करना ठीक नहीं है।
दरअसल, बेटे होने के नाते वह आपको बेसिक चीजें तो बता देंगे पर ये सास के साथ अच्छा रिश्ता बनाने में कुछ खास मदद नहीं कर सकेंगे।
बेहतर है कि बहू बनकर जब आप ससुराल जाएं तो पहले दिन से ही अपनी सास के नेचर को समझना शुरू करें कि आपको किस स्थिति के अनुसार उनसे कैसे बात करनी है? ससुराल से जुड़ी किसी सिचुएशन में क्या करना चाहिए, क्या नहीं? इनका अच्छे से अंदाजा हो जाए।
क्या नहीं है पसंद
क्या पसंद है? यह तो सभी बहुएं जानने की कोशिश करती हैं, लेकिन इस दौरान वह यह जानना भूल जाती हैं कि सास को क्या पसंद नहीं है। किसी की पसंद जानने से पहले उसकी नापसंद जानना ज्यादा अहम होता है।
उदाहरण के लिए अगर बहू को पता लगा कि सास को राजमा पसंद है, लेकिन उसे यह न पता हो कि उन्हें सब्जी में लहसुन पसंद नहीं है तो पूरी मेहनत ही बर्बाद हो सकती है।
बदलने की कोशिश न करना
आप सोच से भले ही बेबाक हों लेकिन बहू बनने के बाद ऐसे बर्ताव न करें कि वह घर बस आपके अनुसार ही चलेगा। आपको ये बात समझनी होगी कि आपकी सास ने अपनी लगभग पूरी जिंदगी उस परिवार को हैंडल किया है, ऐसे में आप आते ही सबकुछ बदलने की कोशिश करें, तो यह उन्हें किसी भी हाल में रास आ ही नहीं सकता। इस चीज को छोटे से उदाहरण से समझा जा सकता है।
मानें कि आपने अपने रूम को खास तरह से डिजाइन करवाया लेकिन अचानक कोई व्यक्ति आपके यहां ठहरने आया और उसने रूम का लुक इसलिए चेंज कर दिया क्योंकि वह उसके टेस्ट के हिसाब से सही नहीं था। क्या आपको यह पसंद आएगा? जाहिर सी बात है नहीं। यह तो मेहमान की सिचुएशन थी लेकिन बहू को तो सास से जिंदगीभर का रिश्ता निभाना होता है, ऐसे में आते ही उनकी सालों से जमी-जमाई चीजों को बदलने की कोशिश, हमेशा के लिए रिश्ते को डैमेज कर सकती है।
पति का यह फर्ज है कि वह ससुराल में अपनी पत्नी को अडजस्ट होने में मदद करे और उसकी खुशी का ख्याल रखे। हालांकि, जब बात सास और बहू के रिश्ते की आती है तो पति को हमेशा अपने साइड करने की कोशिश रिश्ते में दरार डाल सकती है। अगर किसी चीज को लेकर मतभेद हो तो पति के पास शिकायत लेकर जाने से अच्छा है कि बहू विनम्र लहजे में इसे सास के सामने रखे और बताए कि उसे उस चीज से क्यों आपत्ति है। आपको यह बात हमेशा ध्यान रखनी होगी कि आपका पति सास का बेटा भी है, इसलिए उन्हें हर बात पर बीच में लाना पारिवारिक शांति को खत्म कर सकता है।
बेटी जैसा प्यार चाहिए, तो मां जैसा सम्मान भी देना होगा
अक्सर बहुएं इस बात की शिकायत करती हैं कि उन्हें सास से कभी मां जैसा प्यार नहीं मिल सकता, लेकिन इस दौरान वह इस बात पर ध्यान देना भूल जाती हैं कि क्या उन्होंने कभी उन्हें मां जैसा ट्रीट किया? रिश्तों और प्यार को हमेशा ही नि:स्वार्थ कहा जाता है लेकिन सच तो यह है कि किसी भी रिलेशनशिप में एक व्यक्ति जैसी भावनाएं सामने रखेगा, उसे बदले में भी वैसी ही भावनाएं मिलेंगी। अगर आपको बेटी जैसा प्यार चाहिए तो आपको मां जैसा सम्मान भी देना होगा।
-एजेंसियां
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