जल्द ही दुनिया वाइन के एक नए जायके से रूबरू होगी जिसका नाम है Tea wine। इस वाइन में हिमाचल की मशहूर कांगड़ा टी के साथ ही फलों का भी इस्तेमाल किया जाएगा। यही वजह है कि इसे एक बेहतरीन एंटीऑक्सिडेंट करार दिया जा रहा है।
एक खास टेस्ट और फ्लेवर वाली इस Tea wine को काउंसिल ऑफ साइंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च की पालमपुर स्थित इकाई- इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नॉलजी (IHBT) के साइंटिस्ट डॉ. एच. पी सिंह ने दुनिया में पहली बार बनाया है। इस वाइन में करीब 12 प्रतिशत ऐल्कोहल है और इसका टेस्ट परंपरागत वाइन से हटकर है।
भारत को मिलेगी उम्दा किस्म की वाइन
IHBT के डायरेक्टर डॉ. संजय कुमार बताते हैं कि Tea wine में भरपूर मात्रा में पॉलिफिनोल्स हैं। इनको बेहतरीन किस्म के एंटीऑक्सिडेंट्स में शुमार किया जाता है।
डॉ. संजय का कहना है कि इस वाइन को बाजार में लाने के लिए तमिलनाडु की एक कंपनी के साथ करार किया गया है। इस करार के तहत सरकार को एकमुश्त राशि के अलावा सेल पर 5 प्रतिशत की रॉयल्टी भी मिलेगी।
डॉ. संजय का मानना है कि Tea wine से भारत को एक उम्दा किस्म की वाइन तो मिलेगी ही, इसके एक्सपोर्ट से भी अच्छी-खासी मात्रा में विदेशी मुद्रा मिलने के आसार हैं।
क्योंकि बढ़ रहे हैं शौकीन
भारत में अभी वाइन के शौकीनों की तादाद ज्यादा नहीं है, लेकिन हाल के दौर में इसमें इजाफा देखा जा रहा है। इसकी वजह वाइन को सेफ ड्रिंक माना जाना है। कई स्टडीज वाइन को स्वास्थ्य के लिए एक बेहतरीन ड्रिंक करार दे चुकी हैं।
माना जा रहा है कि Tea wine की देश में भी काफी डिमांड रहेगी। अभी दुनिया में वाइन के कारोबार में फ्रांस का दबदबा है। Tea wine से भारत भी वाइन के ग्लोबल कारोबार में दस्तक दे सकता है। अभी भारत में बनने वाली वाइन को अच्छी क्वॉलिटी का नहीं माना जाता क्योंकि यहां बेहतरीन क्वॉलिटी के अंगूर नहीं मिल पाते। Tea wine में क्वॉलिटी की इस कमी को दूर करने की संभावना है।
कड़क स्वाद के दीवाने
भारत में शराब के शौकीनों की तो कमी नहीं है लेकिन यहां ऐसे लोगों की तादाद ज्यादा है जो रम, विस्की, वोदका जैसे हार्ड ड्रिंक्स को ज्यादा पसंद करते हैं। ऐसे लोगों की संख्या देश में करीब 88 प्रतिशत है। बीयर पसंद करने वाले 10 प्रतिशत हैं तो वाइन पीने वाले महज 2 प्रतिशत।
-एजेंसी