डॉक्टर्स का कहना है कि जरूरत से ज्यादा Antibiotics दवाएं खाने पर डायरिया जैसी पेट की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। हालांकि रोजाना की दौड़ती-भागती जिंदगी में अक्सर हम लोग सिरदर्द, पेटदर्द या बुखार होने पर बिना डॉक्टर की सलाह लिए कोई भी Antibiotics दवा ले लेते हैं और तबीयत ठीक होने पर अक्सर ऐसा करते रहते हैं।
मेडीसिन कंसल्टेंट का कहना है कि ‘जरूरत से ज्यादा Antibiotics का सेवन आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इससे आपको डायरिया जैसी पेट की बीमारियां हो सकती हैं। गलत ऐंटीबायॉटिक लेना भी एक समस्या बन सकता है खास तौर पर अगर आपको उस दवा से एलर्जी है तो।’
डॉक्टर ने कहा, ‘किसी भी ऐंटीबायॉटिक का गलत या जरूरत से अधिक इस्तेमाल कई परेशानियां खड़ी कर सकता है जैसे कि इंफेक्शन जल्दी ठीक न हो पाना आदि। इससे ऐंटीबायॉटिक रेजिस्टेंट ऑर्गेज्म्स भी विकसित हो सकते हैं।
अगर आप बिना डॉक्टर की सलाह के कोई ऐंटीबायॉटिक लगातार लेते रहेंगे तो यह खतरा बहुत बढ़ सकता है।’
डॉ. सतीश कौल की मानें तो ‘वर्तमान में ऐंटीबायॉटिक प्रतिरोधक क्षमता विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य समस्याओं में से एक बन गयी है। हमें अधिक से अधिक लोगों को ऐंटीबायॉटिक्स के सही उपयोग और उसके फंक्शन के बारे में बताना चाहिए ताकि इस समस्या का निदान हो सके। हमें इस समस्या को गंभीरता से लेने की जरूरत है।’
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मुताबिक ऐंटीबायॉटिक दवाएं, वायरस संक्रमण को रोकने और इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएं हैं। ऐंटीबायॉटिक प्रतिरोध तब होता है, जब इन दवाओं के उपयोग के जवाब में बैक्टीरिया अपना स्वरूप बदल लेता है। डब्लूएचओ के मुताबिक ‘बिना जरूरत के ऐंटीबायॉटिक दवा लेने से ऐंटीबायॉटिक प्रतिरोध में वृद्धि होती है, जो कि वैश्विक स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है।
ऐंटीबायॉटिक प्रतिरोध संक्रमण से मरीज को लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहने, इलाज के लिए अधिक राशि और बीमारी गंभीर होने पर मरीज की मौत भी हो सकती है।’
ऐंटीबायॉटिक प्रतिरोध संक्रमण किसी भी देश में किसी भी आयुवर्ग और किसी को भी प्रभावित कर सकता है। साथ ही जब बैक्टीरिया ऐंटीबायॉटिक के प्रतिरोध हो जाता है तो आम से संक्रमण का भी इलाज नहीं किया जा सकता।
मेडीसिन सीनियर कंसलटेंट डॉ. अरविन्द अग्रवाल के अनुसार, ‘आजकल सिरदर्द, पेटदर्द या बुखार होने पर हम बिना डॉक्टर की सलाह लिए कोई भी ऐंटीबायॉटिक दवा ले लेते हैं। कई बार तो हम बिना किसी जरूरत के भी ऐंटीबायॉटिक लेते रहते हैं। बिना आवश्यकता के और नियमित रूप से ऐंटीबायॉटिक लेते रहते से आपके शरीर के माइक्रोब्स या बैक्टीरिया खुद को बदल लेते हैं जिससे ऐंटीबायॉटिक्स उन्हें हानि नहीं पहुंचा पाते।’
उन्होंने कहा, ‘यह ऐंटीबायॉटिक प्रतिरोध क्षमता कहलाती है। ऐंटीबायॉटिक का जरूरत से अधिक इस्तेमाल करने से सबसे प्रभावशाली ऐंटीबायॉटिक दवाइयों का भी कुछ बैक्टीरिया पर असर नहीं पड़ता। ये बैक्टीरिया अपने आप को इस तरह बदल लेते हैं कि दवा, केमिकल्स या इंफेक्शन हटाने वाले किसी भी इलाज का इन पर या तो बिलकुल ही असर नहीं पड़ता या फिर बहुत कम असर पड़ता है।’
डॉ. अरविन्द अग्रवाल ने कहा, ‘ऐसे बैक्टीरिया न सिर्फ दवाइयों से खुद को बचा लेते हैं बल्कि अपनी संख्या भी बढ़ाते रहते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए अधिक खतरनाक साबित होता है। बैक्टीरिया और इससे होने वाली बीमारियों को खत्म करने के लिए ली जाती हैं और यह सर्दी, खांसी, बुखार जैसे वायरल इंफेक्शन को खत्म नहीं कर सकता।’
-एजेंसियां
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