बेकर्स सिस्ट सिनोवियल द्रव से भरी एक नरम गांठ है जो घुटनों के पीछे की ओर विकसित हो जा जाती है। इसे पोप्लिटीयल सिस्ट के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर लोग इसे गांठ के रूप में ही पहचानते हैं। इस दर्दनाक गांठ के आसपास सूजन आ जाती है, जिसके कारण घुटने को मोड़ना मुश्किल हो जाता है। गांठ के कारण घुटनों में जकड़न और दर्द की शिकायत होती है। यदि यह गांठ घुटने के अंदर ही फट जाए तो घुटना लाल पड़ जाता है और दर्द पिंडली तक पहुंच जाता है। यह गांठ ज्यादातर उन महिलाओं को होती है, जो 40 की उम्र पार कर चुकी हैं।
बेकर्स सिस्ट का कारण
जब घुटने में चोट के कारण आसपास की संरचना क्षतिग्रस्त जाती है तो वहां बहुत अधिक मात्रा में द्रव बनने लगता है। यह द्रव गांठ का रूप ले लेता है जिसमें व्यक्ति को दर्द का अनुभव होता है। इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे कि गठिया, कार्टिलेज में चोट आदि। हालांकि, यह कोई बड़ा रोग नहीं है लेकिन कुछ समय के लिए यह व्यक्ति को बहुत ज्यादा परेशान कर देता है।
बेकर्स सिस्ट के लक्षण·
गांठ के आसपास सूजन·
घुटनों में जकड़न·
घुटनों में दर्द·
घुटने को मोड़ने में मुश्किल·
कभी-कभी पूरे पैर में सूजन हो सकती है
बेकर्स सिस्ट का निदान
आपका डॉक्टर आपके घुटने को छूकर सूजन को महसूस करेगा। यदि गांठ छोटी है तो वह प्रभावित घुटने की स्वस्थ घुटने से तुलना करेगा, जहां वह दोनों घुटनों के मूवमेंट में फर्क को महसूस करेगा।यदि गांठ लगातार बड़ी हो रही है और गंभीर दर्द के साथ बुखार का कारण बन रही है तो डॉक्टर आपको नॉन-इनवेसिव इमेजिंग टेस्ट की सलाह देगा। इसमें एमआरआई या अल्ट्रासाउंड शामिल हैं। एमआरआई की मदद से डॉक्टर सिस्ट को अच्छे से देख पाता है, जिससे वह उचित इलाज बताने में समर्थ रहता है।हालांकि, एक्स-रे पर गांठ का पता लगना संभव नहीं है लेकिन डॉक्टर अन्य समस्याओं जैसे कि गठिया आदि की पहचान के लिए इसकी सलाह दे सकते हैं।
बेकर्स सिस्ट का इलाज
आमतौर पर इस गांठ का इलाज करने की जरूरत नहीं पड़ती है क्योंकि कुछ समय में यह खुद ही ठीक हो जाती है। लेकिन कई बार यह लगातार बढ़ती जाती है और मरीज को बहुत ज्यादा परेशान करने लगती है। ऐसे में इलाज करना जरूरी हो जाता है। हालांकि, इलाज के साथ इसमें राहत भी जल्दी मिल जाती है। आपकी गांठ और लक्षणों की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टर इलाज के निम्नलिखित विकल्पों की सलाह दे सकते हैं।
द्रव निकालना: डॉक्टर आपकी गांठ में इजेक्शन डालकर द्रव को बाहर निकालेगा। इस प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी न हो और इंजेक्शन सही जगह पर लगाया गया है, यह सुनिश्चित करने के लिए वह अल्ट्रासाउंड की मदद ले सकता है। द्रव को बाहर निकालने पर गांठ सूखकर ठीक हो जाती है।
मेडिकेशन: डॉक्टर आपकी गांठ में दवा इंजेक्ट करेगा, जिसकी मदद से आपको दर्द में राहत मिल जाएगा। हालांकि, इसमें फिर से गांठ बनने की संभावना रहती है।
फिजिकल थेरेपी: आपका डॉक्टर आपको कुछ व्यायामों और थेरेपी की सलाह देगा। व्यायाम की मदद से गांठ में राहत के साथ-साथ जकड़न और दर्द में भी राहत मिलती है। व्यायाम घुटने को लचीला बनाते हैं जिससे आपको मूवमेंट में आसानी होगी।
बर्फ की सिकाई: आपका डॉक्टर गांठ को सुखाने के लिए बर्फ की सिकाई की सलाह भी दे सकता है।यदि सिस्ट का कारण कोई बीमारी है तो ऐसे में डॉक्टर आपको उस बीमारी के अनुसार इलाज बताएगा।
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