अमेरिकल जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन में प्रकाशित ताजा रिपोर्ट के अनुसार जो टीनेजर्स रेग्युलर बेसिस पर ई-सिगरेट का उपयोग कर रहे हैं, उनमें दूसरी तरह की घातक ड्रग्स के लिए तलब बढ़ रही है।
टीनेजर्स पहले अलग-अलग फ्लेवर की ई-सिगरेट को एंजॉय करते हैं और फिर धीरे-धीरे बढ़ते हुए इनका शौक निकोटिन , मरिजुआना सिगरेट की तरफ जाता है।
दो साल से चल रही स्टडी में यह बात सामने आई है कि ऐसे हर चार टीनेजर्स में से तीन आगे चलकर स्मोकिंग करने में जुट रहे हैं, जो हर रोज फ्लेवर्ड ई-सिगरेट का उपयोग करते हैं। अमेरिका में हुई इस स्टडी के रिजल्ट्स से पॉलिसी मेकर्स का परेशान होना लाजिमी है। स्टडी में सामने आया है कि फ्लेवर्ड ई-सिगरेट का सेवन करने वाले टीनेजर्स में से करीब 8 प्रतिशत ने पिछले 30 दिनों में निकोटिन का सेवन किया था जबकि 3 प्रतिशत ने मरिजुआना का। वहीं, बाकी टीनेजर्स इनके उपयोग को लेकर अनुभव करने के बारे में विचार कर रहे थे।
यूएसए में पब्लिक हेल्थ सेक्टर से जुड़े और इस रिसर्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एसोसिएट प्रोफेसर होगयिंग डाई के अनुसार हमारी स्टडी में ई-सिगरेट का इस्तेमाल करने वाले टीनेजर्स की और भी डरावनी तस्वीर सामने आई है।
शोध में साबित हुआ कि कुछ किशोर फ्लेवर्ड ई-सिगरेट के सेवन के साथ ही निकोटिन और मरिजुआना की तरफ मुड़ गए। जबकि बाकी किशोरों ने कुछ समय बाद पूरी तरह इनका सेवन करना शुरू कर दिया। इस कारण स्टूडेंट्स के बीच निकोटिन का इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ रहा है।
-एजेंसियां
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