क़रीब दो हफ़्ते हो चुके हैं जो बाइडन को अमेरिकी चुनाव का विजेता बने लेकिन डोनाल्ड ट्रंप अब भी अपनी हार मानने को तैयार नहीं हैं. क्या उनके पास इस फ़ैसले को बदलने की कोई योजना है?
ट्रंप की नतीजों को क़ानूनी चुनौती देने की रणनीति तो काम नहीं कर रही. ट्रंप की टीम ने दर्जनों केस तो दायर कर दिए हैं लेकिन अभी कोई सबूत पेश नहीं किया है.
उनके वकील और पूर्व न्यूयॉर्क मेयर रूडी ज्यूलियानी ने गुरुवार को कहा कि ट्रंप कैंपेन मिशिगन में अपनी कानूनी चुनौती वापस ले रहा है. मिशिगन में बाइडन को 1,60,000 वोटों के अंतर से जीत मिली है.
जॉर्जिया राज्य ने भी 50 लाख बैलेट की दोबारा गिनती की है और बाइडन को 12 हज़ार से ज़्यादा वोटों से जीत मिली है. राज्य ने भी नतीजे पर मुहर लगा दिया है.
अब जब बारी-बारी से दरवाज़े बंद हो रहे हैं तो ट्रंप की रणनीति कानूनी लड़ाई से राजनीतिक लड़ाई पर शिफ्ट हो रही है.
ट्रंप शायद ये सब करने का सोच रहे हैं
जितना हो सके उतने राज्यों में वोट सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया को रोकना, या तो कानूनी मुक़दमे के ज़रिए या रिपब्लिकन रुझान के अधिकारियों को आपत्ति उठाने के लिए.
उन राज्यों के रिपब्लिकन प्रतिनिधियों को जहां बाइडन बहुत कम अंतर से जीते हैं, उन्हें चुनाव धांधली के चलते पॉप्युलर वोट के नतीजों को ख़ारिज करने के लिए मनाना.
उसके बाद प्रतिनिधियों को इस बात के लिए मनाना कि वे अपने राज्य के इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों को 14 दिसंबर को बाइडन की बजाय ट्रंप को दे दें.
ऐसा पर्याप्त राज्यों में करना जैसे विसकॉन्सिन, मिशिगन और पेंसिलवेनिया में ताकि ट्रंप के 232 इलेक्टोरल वोट का आंकड़ा 269 के जीत के आंकड़े को पार कर सके.
ऐसा होने का लिए ट्रंप क्या कोशिश कर रहे हैं?
ट्रंप उन लोगों पर दबाव बना रहे हैं जो इस मामले में प्रभाव रखते हैं कि राज्य किसे राष्ट्रपति के पद के लिए चुने.
जब अमेरिकी लोग राष्ट्रपति चुनाव में वोट करते हैं, दरअसल, वे राज्य स्तर पर चुनाव कर रहे होते हैं ना कि राष्ट्रीय स्तर पर. वे राज्य के इलेक्टर्स के लिए वोट करते हैं जो जीत कर राष्ट्रपति के लिए अपना वोट देते हैं. अक्सर ये इलेक्टर्स लोगों के चुनाव के मुताबिक़ ही वोट करते हैं. उदाहरण के तौर पर अगर मिशिगन ने जो बाइडन जीते हैं तो वहां के इलेक्टर्स उन्हें ही वोट करेंगे.
ट्रंप के अलग-अलग राज्यों पर दबाव बनाने का इशारा तब मिला जब ऐसी ख़बरें आई कि उन्होंने डेट्रॉयट के नतीजों को सर्टिफाई करने से इनकार करने वाले रिपब्लिकन अधिकारियों को उन्होंने फोन किया था.
छोटे स्तर के दो अधिकारियों का राष्ट्रपति से सीधा बात करना ही थोड़ी असामान्य बात थी. मिशिगन के रिपब्लिकन प्रतिनिधियों को भी शुक्रवार के लिए व्हाइट हाउस जाने का न्योता आया.
-BBC
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