इलाहाबाद हाईकोर्ट से मोहम्मद जुबैर को झटका, नहीं रद्द होगी FIR

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर  के खिलाफ प्राथमिकी रद्द करने से इंकार कर दिया। कोर्ट का कहना है कि प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ मामला बनता है अत: जांच के आदेश दिए जाते हैं। जुबैर ने इस महीने की शुरुआत में एक ट्वीट के लिए उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को चुनौती दी थी जिसमें उन्होंने 3 हिंदू संतों यति नरसिंहानंद सरस्वती, बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप को ‘हेट मांगर’ यानी घृणा फैलाने वाला कहा था।

हिंदुत्व संगठन राष्ट्रीय हिंदू शेर सेना के सीतापुर जिला प्रमुख भगवान शरण ने आरोप लगाया था कि जुबैर के ट्वीट से उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत हुईं जिसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने सीतापुर जिले के खैराबाद थाने में बुधवार (1 जून 2022) को भारतीय दंड संहिता की धारा 295-ए और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 के तहत मामला दर्ज किया था।

भगवान शरण के द्वारा प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि 27.05.2022 को उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल “ट्विटर” पर याचिकाकर्ता द्वारा पोस्ट किया गया एक ट्वीट देखा, जिस पर उन्होंने श्रद्धेय धार्मिक स्थल बड़ी संघट, पीएस, खैराबाद और राष्ट्रीय हिंदू शेर सेना के राष्ट्रीय संरक्षक महंत बजरंग मुनि जी के खिलाफ “घृणा फैलाने वाले” शब्द का इस्तेमाल किया गया है। यह भी आरोप लगाया गया कि जुबैर ने अपने ट्विटर अकाउंट पर हिंदू यति नरसिम्हा नंद सरस्वती और स्वामी आनंद स्वरूप का अपमान भी किया है।

जुबैर की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्‍टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव- I की खंडपीठ ने कहा कि मामले के रिकॉर्ड का अवलोकन करने से प्रथम दृष्टया मामला बनता है और मामले में जांच के लिए पर्याप्त आधार प्रतीत होता है।

गौरतलब है कि मोहम्मद जुबैर ने धर्म संसद में दिए गए बयानों को लेकर यति नरसिंहानंद, बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप को (घृणा फैलाने वाला) हेट मोंगर कहा था। मोहम्मद जुबैर ने 27 मई 2022 को किए गए अपने ट्वीट में टाइम्स ऑफ इंडिया के विनीत जैन को टैग करते हुए लिखा था, “बहुत बढ़िया! हमें यति नरसिंहानंद सरस्वती या बजरंग मुनि या आनंद स्वरूप जैसे हेट मोंगर को किसी समुदाय या मजहब के खिलाफ बोलने के लिए धर्म संसद आयोजित करने की क्या जरूरत है, जब उससे बढ़िया काम करने के लिए स्टूडियो में एंकर मौजूद हैं।”

-एजेंसी

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