अद्भुत है टेसू-झेंझीं की लोक कथा, बृजभूमि से निकल कर सम्पूर्ण देश में पहुंच गई थी ये परंपरा

मेरा टेसू यहीं अड़ा, खाने को मांगे दही-बड़ा। जब यह पंक्तियां गूंजती है तो सभी के गहन में उनके बचपन की यादें ताजा हो जाती हैं कि किस तरह से बचपन में टेसू और झेंझी के साथ खेला करते थे। बचपन की यादों में शुमार टेसू-झांझी उत्सव की यह पंक्तियां अब विलुप्त होने लगी हैं […]

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