सेहत के लिए भी महत्‍वपूर्ण होते हैं आंखों से निकलने वाले आंसू

जयशंकर प्रसाद लिखित प्रदीर्घ गीतात्मक काव्य आँसू में कवि ने ‘आँसू’ काव्य का आधार-पात्र किसी नायिका को न मानकर ‘प्रेम’ तत्त्व को माना जो न तो स्त्री है न पुरुष। उनका छन्द इस प्रकार है : ओ मेरे मेरे प्रेम विहँसते, तू स्त्री है या कि पुरुष है! दोनों ही पूछ रहे हैं कोमल है […]

Continue Reading