स्वतंत्रता हमारी स्वाभाविक भूख है…
“बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे, बोल जबां अब तक तेरी है”, फैज़ अहमद फैज़ की यह क्रांतिकारी नज्म और गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगौर की कविता “चित जेथा भय-शून्य” मेरे लिए हमेशा से प्रेरणा का स्रोत रहे हैं। स्वतंत्रता हमारी स्वाभाविक भूख है, स्वतंत्रता हमारी उन्नति की कारक है, स्वतंत्रता हमारे विकास की सूचक है […]
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