नई दिल्ली। क्वाड देशों- भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया- के संयुक्त नौसैनिक युद्धाभ्यास का दूसरा चरण 17 से 20 नवंबर तक होगा।
इस चरण में आईएनएस विक्रमादित्य और अमेरिकी सुपरकैरियर निमित्ज के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया और जापान के दो विध्वंसक युद्धपोत हिस्सा लेंगे। ये सभी मालाबार युद्धाभ्यास के तहत गोवा के समुद्री तट पर अपनी क्षमता का प्रदर्शन करेंगे। विक्रमादित्य पर मिग-29के जबकि निमित्ज पर एफ-18 युद्धक विमान तैनात होंगे।
इस युद्धाभ्यास के दौरान चारों देशों की नौसेना एक-दूसरे की युद्धनीति के साथ-साथ कमांडरों और जवानों की ट्रेनिंग के स्तर से वाकिफ होंगी। युद्धाभ्यास के दौरान फारस की खाड़ी और अरब सागर के बीच कम-से-कम 70 विदेशी युद्धपोत पेट्रोलिंग करेंगे। चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLS) की नौसेना के युद्धपोत आसपास तैनात तो नहीं हैं लेकिन वो बहुत दूर भी नहीं हैं। वो अदन की खाड़ी में समुद्री डाकुओं के विरुद्ध अभियानों को अंजाम दे रहे हैं।
शीर्ष नौसैनिक कमांडरों के मुताबिक भारतीय नौसेना पूर्वी और पश्चिमी समुद्र तटों पर पूरी तरह तैनात है और पूर्वी लद्दाख में हालात बिगड़ने पर आपातकालीन कार्यवाहियां करने को तैयार हैं। विश्लेषकों का कहना है कि क्वाड के सदस्य देश समुद्र में आवाजाही का रास्ता खुला रखने के पक्षधर हैं और दक्षिणी चीन सागर में पीएलए की तरफ से आने वाली बाधाओं से निपटने को तैयार हैं।
उनका मानना है कि भारतीय नौसेना स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत के साथ-साथ अगले साल तक परमाणु क्षमता युक्त बलिस्टिक मिसाइल से लैस दूसरा पनडुब्बी आईएनएस अरिघात को बेड़े में शामिल करेगी जिससे भारत को मलक्का जलडमरूमध्य से अदन की खाड़ी और उससे आगे तक अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर सकेगी।
नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह के अधीन भारतीय नौसेना का फोकस अंडमान और निकोबार द्वीपसमूहों में सैन्य बुनियादी ढांचे के त्वरित विकास पर है ताकि भारत मलक्का जलडमरूमध्य के इतर भी अपनी स्थिति मजबूत कर सके। नौसेना अपना तीसरा विमान वाहक पोत बनाने को भी उत्सुक है ताकि इसकी समुद्री क्षमता में और इजाफा हो। चीन बीआरआई के जरिए अफ्रीका, मध्य पूर्व और फारस की खाड़ी में जिस तरह अपनी धाक जमा रहा है, उसके मद्देनजर भारतीय नौसेना का क्षमता विस्तार की दरकार बढ़ गई है। चीन अपने मित्र देश पाकिस्तान और पड़ोसी म्यांमार के जरिए हिंद महासागर में दबदबा बढ़ा रहा है। ऐसे में भारतीय नौसेना तीसरे विमान वाहक पोत की जरूरत काफी शिद्दत से महसूस कर रही है।
ध्यान रहे कि मालाबार युद्धाभ्यास की शुरुआत वर्ष 1992 में अमेरिकी और भारतीय नौसेना के बीच हिंद महासागर में द्विपक्षीय अभ्यास के तौर पर हुई थी। जापान वर्ष 2015 में इस युद्धाभ्यास का स्थायी प्रतिभागी बना। आस्ट्रेलिया ने आखिरी बार 2007 में मालाबार नौसेना युद्धाभ्यास में हिस्सा लिया था। हालांकि, वह पिछले कई सालों से इस युद्धाभ्यास में शामिल होने को लेकर रुचि दिखा रहा था।
-एजेंसियां