पाकिस्तान के वित्त मंत्री का खुलासा: जेनेवा में खैरात मांगने गए थे लेकिन मिला सिर्फ कर्ज का भरोसा, सऊदी ने भी उठाया मजबूरी का फायदा

Exclusive

डार के बयान ने प्रधानमंत्री शाहबाज की बात को भी झूठ साबित कर दिया है। खास बात यह है कि शरीफ और उनके साथ गए डेलिगेशन के तमाम दावों और बातों की पोल खुद पाकिस्तानी मीडिया ने ही सबसे पहले खोली। इसके बाद फाइनेंस मिनिस्टर डार के बयान ने मीडिया रिपोर्ट्स की सच्चाई पर मुहर लगा दी। मजे की बात यह है कि सऊदी अरब ने भी शरीफ को झांसा दे दिया।

मांगा खैरात और मिला कर्ज

पाकिस्तान के सबसे बड़े अखबार ‘द डॉन’ ने एडिटोरियल और एक स्पेशल रिपोर्ट में खुलासा किया कि जिनेवा में पाकिस्तान को जो 10 अरब डॉलर देने का भरोसा दिलाया गया है, वो दान या खैरात नहीं बल्कि कर्ज है। इतना ही नहीं, यह कर्ज भी तीन साल में किश्तों के तौर पर मिलेगा।

इस खुलासे के बाद प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ, वित्त मंत्री इशहाक डार और कई कैबिनेट मिनिस्टर मीडिया के सामने आए। यहां डार ने कहा- 10 में से 8.7 अरब डॉलर हकीकत में कर्ज है। हमने जिनेवा में बिना शर्त मदद की अपील की थी।

इससे भी ज्यादा हैरानी की बात डार ने आगे कही। फाइनेंस मिनिस्टर ने कहा, मैं आपको यह नहीं बता सकता कि यह कर्ज हमें किन शर्तों पर मिलेगा। शरीफ ने कहा, उम्मीद है कर्ज की शर्तें ज्यादा सख्त नहीं होंगी। ये पैसा हमें कब तक मिलेगा, इस बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी।

एक वादा जो पूरा नहीं हुआ

2020 में जब सऊदी ने पाकिस्तान को 3 अरब डॉलर और उधार पर तेल दिया था, तब एक शर्त रखी थी और एक मुल्क के लिए यह शर्मिंदगी वाली बात थी। सऊदी ने कहा था कि वो 36 घंटे के नोटिस पर यह पैसा वापस ले सकते हैं, पाकिस्तान को ब्याज भी चुकाना होगा और यह सिर्फ गारंटी मनी होगी। मतलब, पाकिस्तान इसे खर्च नहीं कर सकेगा। इस बार भी शर्तों में बदलाव नहीं हुआ है लिहाजा साफ है कि पुरानी शर्तें ही जारी रहेंगी।

2019 में सऊदी क्राउन प्रिंस सलमान पाकिस्तान दौरे पर आए थे। तब इमरान खान प्रधानमंत्री थे और उन्होंने खुद कार ड्राइव की थी। तब भी सलमान ने पाकिस्तान में 10 अरब डॉलर इन्वेस्ट करने का वादा किया था। 3 साल बाद भी वादा पूरा नहीं हुआ। हां, एक बार फिर क्राउन प्रिंस ने 10 अरब डॉलर इन्वेस्टमेंट की बात दोहराई है।

नए लोन से क्या मदद मिलेगी

दो बातें होंगी। पहली- IMF की अगली किश्त (1.2 अरब डॉलर) का इंतजार किए बिना शाहबाज शरीफ सरकार खर्च चला सकेगी। दूसरी- खजाने में फॉरेक्स रिजर्व रहेगा तो ऑयल, गैस और गेहूं इम्पोर्ट किया जा सकेगा।

अक्टूबर-नवंबर में इलेक्शन शेड्यूल्ड हैं। अगर अंदरूनी हालात ठीक रहे तो चुनाव कराए जा सकते हैं। वर्ना सियासी हालात बिगड़ सकते हैं। एक नई बात मुल्क में चल पड़ी है और वो है ‘टेक्नोक्रेट गवर्नमेंट’ की। टेक्नोक्रेट गवर्नमेंट का मतलब है कि फाइनेंशियल और दूसरे मामलों के एक्सपर्ट्स सरकार चलाएं। दूसरे शब्दों में नेताओं को इसमें जगह नहीं दी जाएगी। यह मांग कुछ पूर्व ब्यूरोक्रेट कर रहे हैं। इसको लेकर बहस जारी है।

Compiled: up18 News