NDDB ने खोजी तकनीक, अब गाय से सिर्फ बछिया पैदा होना सुनिश्‍चित

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नई दिल्‍ली। नेशनल डेयरी डेवलपमेन्ट बोर्ड NDDB की पूर्ण स्वामित्व की सब्सिडरी एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज़ ने आज स्वदेश में विकसित आधुनिक तकनीक की घोषणा की है, जिससे मवेशियों के शुक्राणुओं की छंटनी कर के सिर्फ मादा बछड़े के जन्म को सुनिश्चित किया जा सकता है। यह तकनीक भारत को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।

एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज़ की तरफ से किए गए फील्ड ट्रायल के परिणाम वास्तविक परिस्थितियों में उत्पाद के प्रदर्शन को सुनिश्चित करते हैं। अक्टूबर 2020 में चेन्नई के नज़दीक एक फार्म में इसी तकनीक से मादा बछड़े का जन्म हुआ, जिसके लिए शुक्राणुओं की छंटाई अलमाधी सीमेन स्टेशन में की गई थी।

किसानों को होगा तगड़ा फायदा

मवेशियों के शुक्राणुओं की छंटाई के लिए मौजूद तकनीक कुछ मल्टी-नेशनल कंपनियों के स्वामित्व में है, जिसके चलते डेयरी किसान इसका लाभ नहीं उठा सकते, क्योंकि लागत की दृष्टि से यह उनके अनुकूल नहीं रहती। सिर्फ मादा बछड़े के जन्म को सुनिश्चित करने से डेयरी किसान को बहुत अधिक आर्थिक फायदा होता है क्योंकि नर बछड़े की आर्थिक उपयोगिता ना के बराबर होती है।

श्री दिलीप रथ, चेयरमैन, एनडीडीबी ने बताया कि एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज़ ने शुक्राणुओं की छंटनी कर बनाई गई खुराक की लागत को कम करने के लिए कुछ साल पहले स्वदेशी तकनीक का विकास किया, ताकि इसे देश के डेयरी किसानों के लिए किफ़ायती बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इस तकनीक को बड़े पैमाने पर अपनाया जाएगा। स्वदेशी तकनीक से छंटनी कर बनाई गई शुक्राणुओं की खुराक उद्योग जगत में गुणवत्ता तथा उत्पादन के मानकों के समकक्ष पाई गई है।

एनडीडीबी की बड़ी पहल

कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत गैर लाभ कंपनी एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज़, उत्पादक कंपनियों एवं उत्पादकता संवर्धन सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए फील्ड संचालन हेतु एनडीडीबी की डिलीवरी शाखा के रूप में काम करती है। इस प्रकार, अब तक 15 दूध उत्पाक कंपनियों की स्थापना की जा चुकी है। एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज़ देश में चार बड़े सीमेन स्टेशनों का प्रबंधन भी करती है- अहमदाबाद के नज़दीक साबरमती आश्रम गौशाला, लखनऊ के नज़दीक पशु प्रजनन केन्द्र, चेन्नई के नज़दीक अलमाधी सीमेन स्टेशन और पुणे के नज़दीक राहुरी सीमेन स्टेशन। ये सीमेन स्टेशन देश में उत्पादित सीमेन का तकरीबन 35 फीसदी उत्पादन करते हैं।

एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज़ ने स्वदेशी सेक्स सोर्टिंग (शुक्राणुओं की छंटाई) तकनीक के विकास के लिए बैंगलोर आधारित आर एण्ड डी संस्थान जीवा साइन्सेज़ के साथ साझेदारी की है। इस तकनीक में उपयोग किए जाने वाले कई अवयवों का विकास देश के प्रसिद्ध संस्थानों में किया जाता है जैसे नेशनल सेंटर फॉर बायोलाजिकल साइन्सेज़-बैंगलोर, इंडियन इन्स्टीट्यूट आफ साइन्स- बैगलोर और इंडियन इन्सटीट्यूट आफ टेक्नोलाजी-मद्रास।

श्री रथ इस बात को लेकर बेहद आश्वस्त थे कि नई तकनीक माननीय प्रधानमंत्री जी के दृष्टिकोण ‘मेक इन इंडिया’ प्रोग्राम तथा साथ ही आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देगी जहां भारत में निर्मित उत्पादों का उपयोग दुनिया भर में किया जा सकेगा- ‘लोकल फॉर ग्लोबल’।

श्री सौगत मित्रा, मैनेजिंग डायरेक्टर, एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज़ ने कहा, ‘‘यह तकनीक सेक्स सोर्टेड सीमेन (छंटाई किए गए शुक्राणुओं) के उपयोग के द्वारा कृत्रिम प्रजनन की मौजूदा लागत (रु 1000) को कम करेगी। यह देश में बेकार मवेशियों की समस्या को हल करने में महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगी।’’ श्री मित्रा ने कहा कि छंटाई कर बनाई गई शुक्राणुओं की खुराक जनवरी 2021 से देश में कमर्शियल रूप से उपलब्ध होगी और किसानों की आय दोगुना करने में उल्लेखनीय योगदान देगी।

-एजेंसियां

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