नर्मदा परियोजना: सुप्रीम कोर्ट का मुआवजे पर 2017 के आदेश में संशोधन से इंकार

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वकील ने कहा, वास्तविक मुआवजा 1.28 करोड़ रुपये

अधिवक्ता संजय पारिख ने एक विस्थापित की ओर से दलीलें आगे बढ़ाते हुए कहा कि नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण की मदों में आवेदक का हक 4.293 हेक्टेयर भूमि का होना चाहिए था। पारिख ने बताया कि शीर्ष अदालत के आदेश को ठीक से पढ़ने से पता चलता है कि मुआवजा 30 लाख प्रति हेक्टेयर आंका जाएगा और वास्तविक मुआवजा 1.28 करोड़ रुपये होगा।

केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि 2017 का आदेश अनुच्छेद 142 के तहत पारित किया गया था और एक संशोधन या स्पष्टीकरण आदेश पारित नहीं किया जा सकता क्योंकि यह अदालत के फैसले की एक वास्तविक समीक्षा होगी।

शीर्ष अदालत ने 8 फरवरी, 2017 को मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर परियोजना (एसएसपी) के प्रत्येक विस्थापित परिवार के लिए 60 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था।

ऐसे 681 परिवारों की शिकायतों को दूर करने के लिए कई दिशा-निर्देश पारित करते हुए, शीर्ष अदालत ने दो हेक्टेयर भूमि के लिए प्रति परिवार 60 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था, और वचन लिया गया था कि वे एक महीने के भीतर जमीन खाली कर देंगे।

ऐसा नहीं करने पर अधिकारियों को उन्हें जबरन बेदखल करने का अधिकार होगा। इससे पहले नर्मदा बचाओ आंदोलन ने शीर्ष अदालत को बताया था कि अकेले मध्य प्रदेश में 192 गांव और एक बस्ती प्रभावित होगी और लगभग 45,000 प्रभावित लोगों का पुनर्वास किया जाना बाकी है। एनबीए ने कहा था कि हजारों आदिवासियों और किसानों सहित सरदार सरोवर परियोजना के विस्थापित कई वर्षों से भूमि आधारित पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

-एजेंसी

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