जानिए! लोगों ने चिट्ठी लिखना तो छोड़ दिया, फिर भी क्यों छपते हैं पोस्टकार्ड और अंतर्देशीय?

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ट्रैफिक पुलिसकर्मियों के अलावा अभी भी कुछ पुराने लोग हैं, जिन्हें अभी भी हाथ से लिखे पत्र में आकर्षण नजर आता है या वह इस पत्र को अपनी लेखनी से व्यक्तिगत बनाना चाहते हैं। उन्हें अभी भी किसी अपने का हालचाल पूछने के लिए हाथ से लिखे पत्रों की ताकत पर भरोसा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक हैदराबाद में पोस्ट ऑफिस के सिटी डिविजन के वरिष्ठ अधीक्षक ए. सुब्रहमण्यम ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) ही दुनिया की केवल एकमात्र आधिकारिक एजेंसी है, जो पोस्ट ऑफिस में मिलने वाली स्टेशनरी को बैन कर सकती है।

भारत यूपीयू के 192 सदस्य देशों में से एक है। 1876 से हम नियमों से बंधे हुए हैं। भारत में पोस्टकार्ड की प्रिंटिंग पर और उसके इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए यूपीयू में आवाज उठाने की जरूरत होगी।

दिलचस्प बात यह है कि अब कई लोगों ने पोस्ट ऑफिस की सेवाएं लेना बंद कर दी हैं और वह महसूस करते हैं कि अब इसकी कोई जरूरत नहीं है। उत्साही लोग चाहते हैं कि पत्र भेजने का सबसे सस्ता माध्यम थोड़ा महंगा होना चाहिए। बेगमपेट के निवासी वी. पांडुरंगा राव ने कहा कि पोस्टकार्ड के लिए 50 पैसे की जगह एक रुपये लिए जाने चाहिए क्योंकि काउंटर पर 50 पैसे देने में काफी समस्या होती है।

सवाल यह है कि आज पोस्ट कार्ड का कहां उपयोग हो रहा है। कहा जा सकता है कि इस समय पोस्ट कार्ड पर प्राइवेट फर्म अपने प्रोडक्ट्स का ऐड करती है, लोग उन्हें अपने प्रियजनों को श्रद्धांजलि देने के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं, चिट फंड और रियल एस्टेट के कारोबार में पोस्टकार्ड का प्रयोग होता है। इंश्योरेंस एजेंट्स इन्हें किस्तों का भुगतान करने में इस्तेमाल करते हैं।

-Compiled by up18 News