माघ मेला में कल्पवास करने से मिल जाती है जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति

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क्या है माघ मेला में कल्पवास का अर्थ

माघ मेला में हिंदू धार्मिक त्योहार है। ये भगवान ब्रह्मा द्वारा ब्रह्मांड का निर्माण करने पर उसका जश्न मनाने के लिए इसका आयोजन किया जाता है। माना जाता है जो लोग इस दौरान कल्पवास का पालन करते हैं, उनके पिछले जन्म में भी किए सारे पाप धुल जाते हैं। उन्हें जन्म-मृत्यु के चक्र से भी मुक्ति मिल जाती है। बता दें कि कल्पवास करने वालों को कल्पवासी कहा जाता है।

नागा साधुओं की देखने को मिलती है भीड़

डेढ़ महीने तक चलने वाले माघ मेले में नागा साधु भी देखने को मिलेंगे। जो साधु सालों-सालों तक कहीं भी नजर नहीं आते, वो भी इन दिनों में संगम पर स्नान करने के लिए आते हैं। नागा साधु काफी रहस्यों से भरे होते हैं, वो ज्यादा किसी से घुलते नहीं हैं। पूरे साल नग्न अवस्था में हिमालय पर वास करते हैं।

यात्रियों के लिए किए गए इंतजाम

यात्रियों के लिए माघ मेला में स्नान के लिए हर तरह के इंतजाम किए गए हैं। हर होटल या आश्रम में 2500 लोगों रुकने की व्यवस्था की गई है। प्रयागराज जंक्शन पर करीबन 10 हजार यात्री रुक सकते हैं। सीएक साथ ही आश्रयों में पूछताछ के लिए काउंटर, टिकट काउंटर, ट्रेन टाइमिंग डिस्प्ले बोर्ड, पीने का पानी, लाइट और टॉयलेट की व्यवस्था भी की गई है।

हवाई मार्ग से प्रयागराज कैसे पहुंचे : प्रयागराज का अपना हवाई अड्डा है। यह मुख्य शहर से केवल 12 किमी दूर है। आसपास के दूसरे हवाई अड्डे वाराणसी, लखनऊ और कानपुर में हैं। आप आसानी से प्रयागराज के लिए उड़ानें बुक कर सकते हैं।

रेल द्वारा प्रयागराज कैसे पहुंचें

प्रयागराज जंक्शन उत्तरी भारत के प्रमुख जंक्शनों में से एक है और कई ट्रेनें हैं जो इसे दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, भोपाल, कोलकाता और जयपुर जैसे कई अन्य स्थानों से जोड़ती हैं। शहर के चार महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन रामबाग में सिटी स्टेशन, दारागंज स्टेशन, प्रयाग स्टेशन और इलाहाबाद स्टेशन हैं।

सड़क मार्ग से प्रयागराज कैसे पहुंचें

प्रयागराज कानपुर से 207 किमी, लखनऊ से 238 किमी, नई दिल्ली से 633 किमी, भोपाल से 677 किमी और जयपुर से 686 किमी दूर है। यहां तक आप उत्तर प्रदेश परिवहन की मदद से भी आसानी से पहुंच सकते हैं।

Compiled: up18 News