इस्लामाबाद। पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी ISI के पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) असद दुर्रानी ने एक इंटरव्यू में कहा है कि पाकिस्तान को भारत से ख़तरा नहीं है बल्कि उसे अपने भीतर की समस्याओं से निपटने की ज़रूरत है. दुर्रानी ने कहा कि पाकिस्तान के लिए ख़तरा के रूप में हिन्दुस्तान हमेशा नंबर वन नहीं रहा.
भारत से पाकिस्तान को कितना ख़तरा है के सवाल पर असद दुर्रानी ने कहा, ”हिन्दुस्तान हमेशा पाकिस्तान के लिए ख़तरा के तौर पर नंबर वन नहीं रहा. आजकल हमें अंदर से बहुत मसला है. यहां के लोग परेशान हैं. अफ़ग़ानिस्तान पर हमारी नीति के वजह से लोग बहुत अलग-थलग हुए हैं.”
‘हिन्दुस्तान बड़ा ख़तरा नहीं’
”ये कहना कि इंडिया हमारे लिए ख़तरा है यह ठीक नहीं है. हमने तो इंडिया को संभाल लिया है. जब भी कुछ हुआ हमने संभाल लिया. अब इंडिया के भीतर ही इतने मसले हैं. उन्होंने पिछले साल पाँच अगस्त को कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म कर अपनी छुट्टी कर ली है. अब उनके पास सिर्फ़ डंडा है और कुछ नहीं. इसके बाद उन्होंने नागरिकता संशोधन क़ानून लाकर अपने भीतर ही और मसला खड़ा कर लिया. इसका केवल मुसलमानों ने ही नहीं बल्कि समझदार हिन्दू और सिखों ने भी विरोध किया.”
दुर्रानी ने कहा, ”मेरा मानना है कि इंडिया यानी ईस्टर्न फ़्रंट से अभी कोई ख़तरा नहीं है. अभी हमें चुपचाप बैठना है. अगर वो बालाकोट की तरह कुछ करेंगे तो उसके लिए तैयारी कर लें. हिन्दुस्तान अपनी ही चीज़ों में इस क़दर फँसा हुआ है कि उन्हें पाकिस्तान की फ़िक्र नहीं है. अगर हमें बाहरी ख़तरे को ही देखना है तो एक-दो चुनौतियां और हैं. ईरान, सऊदी अरब और तुर्की नई चुनौती हैं.”
आईएसआई के पूर्व प्रमुख ने कहा, ”यह पक्की बात है कि मसला हमेशा अंदर का ही ख़तरनाक होता है. हमारी अर्थव्यवस्था ठीक नहीं है. राजनीतिक अस्थिरता का मसला है. आजकल पाकिस्तान की सारी समस्याएं एक साथ आ गई हैं.”
”कुछ लोग सियासी तौर पर नाराज़ हैं. बलूचिस्तान में सब कुछ ठीक नहीं है. कुछ लोग राजनीतिक रूप से अलग-थलग महसूस कर रहे हैं. अर्थव्यवस्था भी ठीक नहीं है. सराकार की विश्वसनीयता का भी बड़ा संकट है. ये कैसी सरकार है कि हमेशा अपने यूटर्न को सही ठहराने में लगी रहती है. मैं जब ऐसी बातें करता हूं तो लोग परेशान हो जाते हैं. नैतिक और सामाजिक भ्रष्टाचार भी एक बड़ी समस्या है. सारी तरह की समस्याएं पाकिस्तान में इकट्ठा हो गई हैं.”
गिलगित बल्तिस्तान को सूबा बनाना ठीक नहीं
दुर्रानी मानते हैं कि पाँच अगस्त को भारत ने कश्मीर का विशेष दर्जा छीना तो उससे कई समस्याएं खड़ी हो गईं. लेकिन पाकिस्तान ने गिलगित बल्तिस्तान में बिना ज़मीनी सच्चाई जाने जो सूबा बनाने का फ़ैसला किया वो कितना सही है?
बीबीसी उर्दू की सहर बलोच के इस सवाल पर दुर्रानी हँसते हुए कहते हैं, ”बिल्कुल आप ठीक कह रही हैं. मैंने कश्मीर को भी हैंडल किया है. मेरा क़रीबी दोस्त युसूफ़ कहा करता था कि अगर एक दफ़ा हमने ऐसी ग़लती की तो हमारे कश्मीर एजेंडे को बहुत गहरा धक्का लगेगा.”
”कई चीज़ों का स्टेटस मत बदलें क्योंकि जब भी सियासी नंबर बनाने के लिए इसे बदलेंगे तो हमें नुक़सान होगा. स्टेट ऑफ बहावलपुर और स्टेट ऑफ स्वात बड़े अच्छे स्टेट थे. इन्हें मुख्यधारा में शामिल कर दिया और वही मुख्यधारा भ्रष्ट और नाकाम है. बलूचिस्तान के साथ भी हमने ऐसा ही किया. इसके तीन प्रांत बेहतर तरीक़े से मैनेज हो जाते थे लेकिन हमने उसे एक कर दिया और अब संभाल नहीं पा रहे हैं.”
”मैं हमेशा से इनके ख़िलाफ़ रहा हूं. फाटा के अंतर्गत वो अपने तरीक़े से चीज़ों को अच्छे से हैंडल करते थे. इसी तरीक़े से गिलगित बल्तिस्तान में भी हो सकता है. अगर हम कुछ नहीं कर सकते तो स्टेटस बदल देते हैं. माइलस्टोन के ऊपर कश्मीर की जगह श्रीनगर लिख देते हैं. नक्शा में तब्दीली कर देते हैं. ये सब काम सियासी नंबर बनाने के लिए किया जाता है. ऐसे काम से हमारे जैसे लोग ख़ुश नहीं होंगे. इसका कोई फ़ायदा नज़र नहीं आ रहा. आपका सिस्टम इतना अच्छा हो और लोग ख़ुद ही आने के लिए कहने लगें तब तो ठीक है. आप लोगों के ऊपर थोपें मत.”
अफ़ग़ानिस्तान में शांति बहाल करने के लिए जो वार्ता चल रही है उस पर आप क्या सोचते हैं? इस सवाल के जवाब में दुर्रानी ने कहा, ”अफ़ग़ानिस्तान को विदेशी सेना की मौजूदगी से मुक्त होना चाहिए. ज़ाहिर है कि ऐसा होगा तो वहां कुछ लोग आपस में लड़ेंगे. हमने मुजाहिदीन के बाद तालिबान से भी ताल्लुकात रखा और कई बार तो अमेरिका भी नहीं सुनी. ईरान और चीन के साथ रिश्तों के लेकर भी हमसे अमेरिका नाराज़ रहा. हमने तालिबान को लेकर किसी की नहीं सुनी.”
असद दुर्रानी 1988 में पाकिस्तान के मिलिटरी इंटेलिजेंस डायरेक्टर जनरल थे और 1990 में इंटर-सर्विस इंटेलिजेंस यानी आईएसआई के प्रमुख बने. इसके अलावा दुर्रानी जर्मनी और सऊदी अरब में पाकिस्तान के राजदूत भी रहे.
दुर्रानी ने कहा कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उनके बारे में लोग कहते हैं कि वो अपने दम पर सत्ता में नहीं आए हैं बल्कि खाकी बोझ के कारण आए हैं. आईएसआई के पूर्व प्रमुख ने कहा कि कुछ लोग इतिहास से सबक नहीं लेते हैं क्योंकि उनको लगता है वो अपना इतिहास ख़ुद बनाएंगे.
दुर्रानी ने कहा, ”पाकिस्तान की सरकार में फ़ौज की दख़लअंदाज़ी की बात से कोई नई नहीं है. यह तो अयूब ख़ान के ज़माने तक जाता है. आईएसआई के अंदर भी फ़ौज के लोग भरे हैं और इसका हेड भी फ़ौजी ही होता है.’
लेफ्टिनेंट जनरल असद दुर्रानी की विवादित किताब ‘द स्पाई क्रॉनिकल्स: रॉ, आईएसआई एंड द इल्यूजन ऑफ पीस’ को लेकर भी पाकिस्तान में काफ़ी विवाद हो चुका है. दुर्रानी ने यह किताब भारत की खुफ़िया एजेंसी रॉ (रिसर्च एनलिसिस विंग) के पूर्व प्रमुख अमरजीत सिंह दुलत के साथ मिलकर लिखी थी. दुर्रानी इस किताब को लेकर पाकिस्तान में जाँच का सामना कर रहे हैं.
-BBC