ऐसे ही बाजार के बादशाह नही बने गौतम अडानी, करियर में काफी उतार चढ़ाव भी देखे हैं..

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1990 में के दशक में उदारीकरण के बाद भारत के ऊर्जा की भूख बहुत बढ़ गई. इसी भूख का कोयले से इलाज करके गौतम अडानी ने कारोबार की दुनिया में बड़ी तेजी से कामयाबियों को छुआ. अब जब जलवायु परिवर्तन भारत की मुश्किलें बढ़ा रहा है तो अडानी ग्रीन एनर्जी में बड़े बाजार में बड़ी तैयारियों के साथ उतर रहे हैं. बंदरगाह, एयरपोर्ट, शहर, ऊर्जा संयंत्र बनाने वाले अडानी ने अगले दशक में सौर, वायु और हरित उर्जा की दूसरी परियोजनाओं में 70 अरब डॉलर का निवेश करने की तैयारी की है.

सरकार का साथ

60 साल के अडानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों गुजरात से हैं और एक दूसरे के करीबी माने जाते हैं. अडानी के निजी विमान से 2014 में कई बार चुनाव प्रचार करने वाले प्रधानमंत्री मोदी के शासन में अडानी का नेटवर्थ ब्लूमबर्ग के मुताबिक दो हजार प्रतिशत बढ़ कर 125 अरब डॉलर कर बढ़ गया. शेयर मार्केट में दर्ज उनकी सात कंपनियों के शेयरों का भाव इस कदर बढ़ा कि इस साल सितंबर में वो जेफ बेजोस को पीछे छोड़ कर दुनिया के दूसरे सबसे अमीर आदमी बन गए.

अडानी के कारोबार को बीते सालों में बंदरगाह, हाइवे और बिजली संयंत्र बनाने के लिए अरबों डॉलर के करार मिले हैं. सिर्फ इतना ही नहीं वो ड्रोन विकसित करने और सेना के लिए गोला बारूद बनाने के भी काम में हाथ आजमा रहे हैं. सरकार सेना से जुड़ी चीजों का निर्यात बढ़ाना और महंगे आयात घटाना चाहती है. अडानी की कंपनी इस काम में उनकी मददगार हो सकती है.

प्रधानमंत्री के लिए किसानों का वोट भी जरूरी है, शायद इसलिए अडानी की कंपनी ने कृषि क्षेत्र में भी भारी निवेश किया है. सरकार की आलोचना करने वाले प्रमुख समाचार चैनल एनडीटीवी को हाल ही में चुपके से खरीदने  के पीछे भी बहुत से विश्लेषक प्रधानमंत्री और अडानी की करीबी को ही जिम्मेदार मान रहे हैं

अडानी का सफर

आठ भाई बहनों के बीच पले गौतम अडानी अहमदाबाद के एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं. कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़ देने वाले अडानी ने मुंबई में हीरों के व्यापार से अपना करियर शुरू किया. हालांकि जल्दी ही वो गुजरात लौट कर अपने भाई के साथ प्लास्टिक के आयात के कारोबार में जुट गये. 1980 के दशक में इंटरप्राइजेड के साथ उन्होंने स्वतंत्र रूप से कारोबार शुरू किया और जूते से लेकर बाल्टियों तक के कारोबार में दिलचस्पी लेने लगे.

कारोबारी करियर में उन्होंने काफी उतार चढ़ाव भी देखे हैं. 1988 में एक बार फिरौती के लिए उनका अपहरण कर लिया गया था. मुंबई पर 26 नवंबर के आतंकवादी हमले के समय वो ताज होटल के रेस्तरां में मौजूद थे. उन्होंने होटल के बेसमेंट में छिप कर आतंकवादियों से जान बचाई.

इलॉन मस्क और बिल गेट्स से बराबरी

भारत सरकार ने 2070 तक भारत में उत्सर्जन को नेट जीरो तक लाने का लक्ष्य रखा है. गौतम अडानी शायद इस मुहिम में बड़ी भूमिका निभाना चाहते हैं. हाल ही में उन्हें सोलर मॉड्यूल बनाने के लिए सरकार से 9 करोड़ डॉलर की सब्सिडी मिली है.

एशिया में अक्षय ऊर्जा में निवेश पर कई दशकों से नजर रखने वाले टिम बकले ऑस्ट्रेलिया की क्लाइमेट एनर्जी फाइनेंस के निदेशक हैं. बकले का कहना है, “मुझे नहीं लगता कि अडानी सचमुच जलवायु विज्ञान के बारे में सोचते हैं लेकिन वो भारत के भूराजनीतिक और आर्थिक हितों को जरूर समझते हैं और वो भारत के फायदे के साथ अपनी समस्याएं सुलझा लेना चाहते हैं.”

बकले का यह भी कहना है, “वह खुद को बिल गेट्स और इलॉन मस्क के साथ देखना चाहते हैं और ऐसा वह भारत की सबसे बड़ी मछली बनने के बजाय भरोसेमंद वैश्विक अरबपति बन कर ही कर सकते हैं. अडानी ग्रीन को वह अपनी विरासत बनाना चाहते हैं.”

अडानी की हरित ऊर्जा का अभियान सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है. हाल ही में उन्होंने यूरोप की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद के लिए मोरक्को में 10 गीगावाट के स्वच्छ ऊर्जा का संयंत्र बनाने की घोषणा की है.

सबको साथ लेकर चलने की कुशलता

हालांकि कोयले और जीवाश्म ईंधनों से उनका साथ छूटा नहीं है. पर्यावरणवादियों के साथ कई साल के विवाद के बाद  दिसंबर 2021 में अडानी ग्रुप ने ऑस्ट्रेलिया की कारमाइकल माइन से कोयले का निर्यात  शुरु किया. इस प्रोजेक्ट के लिए एक खास रेल लाईन भी बनाई गई है जो ऑस्ट्रेलिया से भारत समेत कई देशों को कोयले के निर्यात में मदद करेगी.

ऊर्जा की भूख से जूझ रहे बांग्लादेश को जल्दी ही पूर्वी भारत में बने अडानी के कोयले वाले बिजली घर से अपने हिस्से की बिजली मिलनी शुरू हो जाएगी. हाल ही में अडानी ने 4 अरब डॉलर के निवेश से एक पेट्रोकेमिकल कंप्लेक्स बनाने की घोषणा की है जहां इथेन क्रैकिंग के साथ ही प्राकृतिक गैस को प्लास्टिक में बदलने वाला संयंत्र भी होगा.

आलोचकों का कहना है कि ये परियोजनाएं अडानी की हरित ऊर्जा वाली छवि के विकास में बाधा बनेंगे. हालांकि कंपनी का कहना है, “हम पूरी तरह से स्वच्छ ऊर्जा के प्रति समर्पित हैं लेकिन जब तक भरोसेमंद वैकल्पिक उपाय काम नहीं करने लगते तब तक हमें अस्तित्व से जुड़ी मांगों को पूरा करने के लिए पारंपरिक ईंधन स्रोतों को चालू रखना होगा.” कंपनी का कहना है कि धीरे धीरे जीवाश्म ईंधन को हटाया जाएगा और लंबे समय में कंपनी का ध्यान सिर्फ हरित ऊर्जा पर है.

पत्रकार आर एन भास्कर ने गौतम अडानी की जीवनी लिखी है. वो कहते हैं कि मोदी के सत्ता में आने के साथ उनके करीब जाना अडानी के लिए स्वाभाविक है, कांग्रेस के शासन में वो उसके भी करीब थे. भास्कर कहते हैं, “अडानी की सफलता का एक प्रमुख तत्व है सबके साथ रिश्तों को संभालने की क्षमता. वह सत्ता में आने वाले हर राजनेता के करीबी हैं. भारत में बड़े कारोबारी सिर्फ सरकार से जुड़ कर ही काम कर पाते हैं. अगर कल विपक्षी दल सत्ता में आए तो अडानी उनके भी करीब होंगे.”

-साभार: डीडब्‍ल्‍यू