कोलकाता। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले ही राजनीति गरमाने लगी है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने ममता सरकार को खुलेआम धमकी देते हुए कहा कि टीएमसी के लोग सुधर जाएं नहीं तो हड्डी-पसली तोड़ देंगे। दरअसल, पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दौरे ने बीजेपी का मनोबल बढ़ाने का काम किया है। यही वजह है कि इस वक्त बंगाल में बीजेपी का आक्रामक रवैया देखने को मिल रहा है और ममता सरकार पर पहले से भी ज्यादा हमलावर हो गई है।
पिछले दिनों बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह दो दिन के दौरे पर पश्चिम बंगाल आए थे। इस दौरान उन्होंने दावा किया कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी दो तिहाई यानी 200 से ज्यादा सीटें जीतेगी। शाह के इस बयान ने पश्चिम बंगाल की राजनीति के ठहरे पानी में हलचल तेज कर दी है। शाह ने अपने दौरे के दौरान एक रैली भी कि जिसमें उन्होंने बंगाल की जमीन से तृणमूल कांग्रेस को उखाड़ फेंकने की अपील की।
अमित शाह ने फूंका बंगाल चुनाव का बिगुल
पिछले हफ्ते अमित शाह ने बंगाल के आदिवासी बहुल इलाकों का दौरा कर अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव अभियान की शुरुआत कर दी है। बताया जा रहा है कि अमित शाह ने बंगाल चुनाव पर एक बैठक में हिस्सा लिया था। बैठक में शाह ने कार्यकर्ताओं से साफ कहा वे इस वक्त जमीन स्तर पर बीजेपी की पहुंच बढ़ाने का काम करें, वह भी सीएम चेहरे की चिंता किए बिना।
अमित शाह के संबोधन से कार्यकर्ताओं में जोश
शाह ने अपने कार्यकर्ताओं से यह भी कहा था कि जोश से नहीं होश से काम करो। अमित शाह बोले थे, ‘2018 में जब मैंने लोकसभा की 22 सीटें जीतने का दावा किया तो विपक्ष ने खिल्ली उड़ाई थी लेकिन हमने 18 सीटें जीत लीं और 4-5 सीटें बहुत कम अंतर से हमारे हाथों से निकल गईं।’ बीजेपी कार्यकर्ता जानते हैं कि शाह की 2019 के लिए की गई भविष्यवाणी लगभग सच हो गई थी, ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में शाह के सपने को पूरा करने के लिए बीजेपी ने कमर कस ली है।
हाथ से मौका नहीं गंवाना चाहती है पार्टी
चुनाव से पहले बीजेपी की कोशिश बंगालियों की भावनाओं को जोड़ने की है। बीजेपी नहीं चाहती कि उस पर हिंदी भाषा की पार्टी या फिर बाहरी होने का आरोप लगे। दूसरी ओर बंगाल में ममता सरकार पर तुष्टीकरण के आरोप लगते आए हैं और पिछले दिनों राजनीतिक हिंसा ने राज्य सरकार की खूब किरकिरी भी कराई। ऐसे में बीजेपी भी यह मान रही है कि बंगाल में इस वक्त जो माहौल है, वह पहले कभी देखने को नहीं मिला। पार्टी इस मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहती है।
बीजेपी के लिए करो या मरो की स्थिति
हालांकि बीजेपी के बंगाल फतह के सपने में कई रुकावटें भी हैं। 2014 से लेकर अब तक बीजेपी ने भले ही कामयाबी के नए कीर्तिमान बनाए हों, लेकिन पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ होना उसके लिए अभी भी एक ख्वाब बना है। इसे पूरा होते देखने के लिए बीजेपी में इतनी बेचैनी नहीं होती, अगर उसे वहां सत्ता की उम्मीद न दिख रही होती।
पिछले कुछ सालों में बीजेपी ने इस राज्य में आक्रामक तेवर के साथ न सिर्फ अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराई है, बल्कि 2019 के लोकसभा चुनाव में वह टीएमसी के बाजू दर बाजू खड़ी दिखी। 42 लोकसभा सीटों में टीएमसी को 22 सीट मिलीं तो बीजेपी महज उससे चार सीट ही पीछे रही थी।
बंगाल में लड़ाई टीएमसी बनाम बीजेपी की
कुल पड़े वोट में बीजेपी का 40 प्रतिशत हिस्सा था। यह इसलिए भी अहम है कि जिस राज्य को वामदलों का गढ़ माना जाता है, उन्हें इस चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली। कांग्रेस को महज दो सीट मिलीं। विधानसभा सीटवार इन नतीजों का विश्लेषण करें तो बीजेपी को 122 सीटों पर बढ़त हासिल थी और टीएमसी को 166 पर। यानी लड़ाई टीएमसी और बीजेपी में सिमटती लगी है।
-एजेंसियां
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