नई दिल्ली। भारत और अमेरिका बातचीत की मेज पर आमने-सामने हैं। दोनों देशों के बीच 2+2 बातचीत मंगलवार को शुरू हुई। हैदराबाद हाउस में एक तरफ अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर बैठे और दूसरी तरफ उनके समकक्ष एस जयशंकर और राजनाथ सिंह। दोनों देशों के बीच बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट फॉर जियोस्पेशियल कोऑपरेशन (BECA) हो गया है। इसके अलावा 2+2 बातचीत में और क्या-क्या चर्चा हुई, जानिए सभी अपडेट्स:
BECA पर दोनों देशों में बनी सहमति
दोनों देशों की बातचीत में BECA को अंतिम रूप दे दिया गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 2+2 वार्ता में कहा, “हम खुश हैं कि अब हमने BECA पूरा कर लिया है जिससे सूचना के आदान-प्रदान के नए स्त्रोत खुलेंगे। हम अमेरिका के साथ अन्य मामलों पर चर्चा के लिए बेकरार हैं।”
चीन से लेकर कोरोना तक चर्चा करेंगे: पॉम्पियो
अमेरिकी विदेश मंत्री माइकल पॉम्पियो ने बातचीत की शुरुआत में कहा, “आज दो महान लोकतंत्रों के लिए और करीब आने का खास मौका है। क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए आज हमारे पास चर्चा के लिए बहुत कुछ है- महामारी में सहयोग से लेकर, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का सामना से लेकर सुरक्षा और स्वतंत्रता तक।”
क्या है BECA?
BECA यानी बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट फॉर जियोस्पेशियल कोऑपरेशन। यह बेहद खास समझौता है जो अमेरिका अपने करीबी देशों के साथ ही करता है। चूंकि इससे बेहद संवेदनशील और क्लासिफाइड जानकारी साझा करने के रास्ते खुलते हैं, ऐसे में BECA काफी अहम हो जाता है।
इससे क्या हासिल होगा?
BECA का मकसद नॉटिकल और एयरोनॉटिकल चार्ट्स समेत जियोस्पेशियल डेटा की साझेदारी है। एक बार समझौते पर हस्ताक्षर हो गए तो भारत को US के सैटेलाइट्स से सटीक डेटा मिलेगा जिसका सैन्य इस्तेमाल हो सकता है। इसके अलावा मैप्स, नॉटिकल और एयरोनॉटिकल चार्ट्स, कॉमर्शियल व अन्य अनक्लासिफाइड इमेजरी, जियोडेटिक, जियो फिजिकल, जियो मैग्नेटिक और ग्रेविटी डेटा भी साझा होगा।
BECA से भारत को क्या फायदा?
डेटा शेयरिंग दोनों तरफ से होगी लेकिन BECA से भारत को फायदा ज्यादा है। उसे मिलिट्री ग्रेड डेटा का एक्सेस मिलेगा जिसकी मदद से टारगेट को सटीकता के साथ लोकेट किया जा सकता है। उदाहरण के लिए मिलिट्री ग्रेड कोऑर्डिनेट्स से मिसाइलों या हवा में लॉन्च किए जाने वाले बमों को किसी आतंकी ठिकाने पर टारगेट किया जा सकता है, वह भी एकदम सटीक। कैप्टन विक्रम महाजन (रिटा.) कहते हैं, “इस एग्रीमेंट से मिलने वाला डेटा बड़े काम का होगा। लॉन्च-रेंज नेविगेशन और मिसाइल टारगेटिंग की एक्युरेसी बढ़ जाएगी। अभी के हालात देखते हुए, यह डेटा भारत की पश्चिमी और उत्तरी सीमा पर काम आ सकता है।”
-एजेंसियां
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