आगरा: जीवनरक्षक है ओआरएस, दस्त होने पर शरीर में पानी कमी को करे दूर

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आगरा: ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट्स (ओआरएस) व्यक्ति के पेट की समस्या को दूर करता है। यह बच्चों को दस्त के दौरान देने में काफी फायदेमंद है। नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (यूपीएचसी) जीवनीमंडी पर शनिवार को जागरुकता अभियान चलाया गया।

यूपीएचसी जीवनी मंडी की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. मेघना शर्मा ने बताया कि ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट्स (ओआरएस) व्यक्ति के पेट की समस्याओं को दूर करता है। शरीर में इलेक्ट्रोल्स जब कम हो जाता है, तब ओआरएस इलेक्ट्रोल्स बनाने में मदद करता है। डायरिया के दौरान उल्टी और दस्त से शरीर ही मुख्य मिनरल्स और इलेक्ट्रोलिटेस बाहर हो जाते हैं, इस वजह से डिहाइड्रेशन होता हैक इस दौरान मरीज तरल खाद्य व पेय पदार्थ लेना चाहिए।

अभियान में इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (आईएपी) द्वारा बच्चों और उनके अभिवाको को ओआरएस के महत्व को समझाया गया। डॉ. सुनील अग्रवाल, डॉ. अरुण प्रकाश गुप्ता ,डॉ. अमरकांत गुप्ता ने बताया कि बच्चों को ओआरएस की कितनी जरूरत होती है और इसकी कितनी आवश्यकता होती है।इसे किस समय उपयोग में लाना चाहिए। इसके साथ ही अभिभावकों को साफ-सफाई के बारे में और सुमन-के फार्मूल के अनुसार हाथ धोने के तरीके के बारे में भी बताया गया। इस अवसर पर छोटे बच्चे को परमर्श भी दिया। इस मौके पर यूपीएचसी जीवनीमंडी की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. मेघना शर्मा और समस्त व आशा और आंगनवाड़ी मौजूद रहीं।

अभियान के दौरान जागरुक होने के बाद लाभार्थी सरोज ने बताया कि उनके बच्चों को दस्त होने पर डॉक्टर ओआरएस का घोल पिलाने के लिए बोलती थीं। लेकिन आज इसके बारे में ठीक से जानकारी प्राप्त हो गई है, पता चल गया है कि यह कितना जरूरी है।

लाभार्थी अंजलि ने बताया कि उन्हें अभियान में बताया गया कि ओआरएस का घोल दस्त में काफी लाभकारी है, इससे दस्त होने पर शरीर में होने वाली पानी की कमी को दूर किया जा सकता है। उन्होंने घर पर ओआरएस का घोल बनाने के बारे में भी बताया.

ओआरएस कैसे बनाएं

• एक साफ बर्तन में ओआरएस का पैकेट डालें। उचित मात्र में साफ पानी डालें।
• ओआरएस घोल को केवल पानी में ही तैयार करें।
• यदि बच्चा ओआरएस पीकर उल्टी कर देता है तो उसे कुछ देर बाद दोबारा ओआरएस दें।

कब करें इस्तेमाल

• अगर बच्चे को दिन में तीन या उससे ज्यादा बार दस्त आएं।
• बच्चे की उम्र छह माह से ज्यादा है तो उसे 20 मिली ग्राम जिंक रोजाना दिया जा सकता है। बच्चे को करीब डेढ़ से दो सप्ताह तक यह गोलियां दी जा सकती हैं। यदि बच्चे की उम्र छह माह से कम है तो जिंक की मात्र 10 मिलीग्राम होनी चाहिए।

-up18news