दमदार अभिनेता श्रेयस तलपड़े प्रतिभावान वॉय्स ओवर आर्टिस्ट भी हैं। हालिया रिलीज ‘ पुष्पा2 ’ में अल्लू अर्जुन के हिंदी संवादों को उन्होंने आवाज दी है। साथ ही डिज्नी की अपकमिंग फिल्म ‘ मुफासा: द लॉयन किंग ’ में उन्होंने टिमॉन किरदार को भी आवाज दी है। दैनिक भास्कर के साथ खास बातचीत में उन्होंने अदाकारी के अलावा वॉय्स ओवर आर्टिस्ट के तौर पर काम करने की ठोस वजहों के साथ अपनी फिटनेस पर भी बातें रखी हैं। पेश हैं प्रमुख अंश:-
–यह फिल्म आपको मिली कैसे थी?
मैंने ‘ मुफासा: द लॉयन किंग ’ से पहले ‘ द लॉयन किंग ’ में भी डबिंग की थी। उनके डबिंग डायरेक्टर ने मेरा नाम ‘ पुष्पा ’ के मेकर्स को सुझाया था। मुझसे संपर्क किया गया तो मैंने फर्स्ट पार्ट पहले देखी। मुझे दिलचस्प लगी थी। जाहिर तौर पर कोई फिल्म क्या करेगी, वह तो तब पता नहीं था किसी को। पर फिल्म जिस कदर बनी थी तो मुझे भी लगा कि बतौर कलाकार क्यों न एक और क्राफ्ट को ट्राई किया जाए। कोशिश की वह कामयाब रही। बेशक पार्ट टू के दौरान एक अतिरिक्त दबाव था। पर अब जब तारीफें हो रहीं है तो अच्छा लग रहा है। पहले पार्ट में पुष्पा हक मांग रहा था ताे वैसी आवाज रखी। इस बार उसका राज है तो साउंड में ग्रैविटी लेकर आया।
–किन चीजों का ख्याल रखना चाहिए?
किरदार की बॉडी लैंग्वेज से लेकर उसके स्वैग को मैंने ध्यान में रख बोलने का तरीका तय किया। तेलुगू में ओरिजिनली जो उनका सुर था, उसे हिंदी में कायम रखा। साथ ही स्क्रीन पर मैं अल्लू अर्जुन को नहीं खुद को रखकर परफॉर्म करता हूं। डबिंग से कैसे वह चीज और बेहतर हो सकती है, उस पर काम किया। दूसरे पार्ट के लिए मैंने अपनी बेस को और गहरा किया। हालांकि पहले पार्ट में मैंने मेकर्स को पुष्पा के लिए तीन वैरिएशन वाली आवाज दी थी। उनमें से एक वेरिएशन उन्होंने चुनी। वह ‘ लॉयन किंग’ में टिमॉन वाले किरदार से ज्यादा बेस वाली आवाज थी। इस बार उन्होंने होठों के नीचे सुपारी या कुछ रखकर भी बातें की हैं। तो उसके हिसाब से भी उतार चढ़ाव लेकर आना पड़ा। उन बारीक चीजों को ध्यान रखा। एक्टिंग के दौरान भी आप कहां सांस लेते हैं और कहां पॉज लेते हैं, वह जानकारी रख काम करें तो परिणाम बड़े असरकारी होते हैं।
–जब यह प्रोजेक्ट हाथ में लिया था तो जहन में था कि शरद केलकर ने जैसी आवाज बाहुबली में दी थी, उसके मद्देनजर कुछ करना है?
वैसे हम सब बचपन से बच्चन साहब के फैन रहें हैं। उनकी जैसी आवाज निकालने की कोशिशें करते रहें हैं। एक अदाकार के लिए आवाज बहुत बड़ा एसेट होता है। वह चीज जहन में रहती ही है। तो बाहुबली में जब शरद ने आवाज दी तो बाहुबली को लार्जर दैन लाइफ कद प्रदान किया। तो मैंने उन्हें कॉल कर तारीफ की। ध्यान देने वाली बात है कि हर फिल्म के हिसाब से किरदार में फर्क लाना पड़ता है। डबिंग का काम मुंबई में ही किया। हैदराबाद नहीं जाना पड़ा। रोजाना एक सेशन दो घंटे का रखना पड़ता था। पूरी फिल्म के लिए 12 से 14 सेशन लगे। 20 से 25 घंटे लगे।
–यकीनन इसमें मेहनताना एक्टिंग वाले काम से तो कम ही होगा?
(हंसते हुए) जाहिर तौर पर। वह इसलिए कि बतौर एक्टर तो आप कई महीने रोज के आठ घंटे से ज्यादा अलग अलग जगहों पर जाकर शूट करते हैं। डबिंग का काम तो स्टूडियो में रोजाना दो घंटे के सेशन में भी हो जाता है। तो एक्टर जैसा ही मेहनताना हो, वह एक्सपेक्ट करना जरा सही नहीं होगा। हालांकि कामना करता हूं कि किसी दिन ऐसा हो जाए तो मजा आ जाए। पर ये वाला काम इसलिए हम करते हैं कि बतौर कलाकार कुछ नया एक्सप्लोर करने का मौका मिलता है। साथ ही ऐसी या मुफासा जैसी फिल्मों का हिस्सा भी हम बन पाते हैं, जिसमें हजारों लोग जुड़े होते हैं। उनके काम को सम्मान देने के लिए मैं या फिर शाह रुख, महेश बाबू जैसी हस्तियां आवाज देने को राजी होती हैं।
–अल्लू अर्जुन से मुलाकातें हो सकीं?
अभी तक तो नहीं हो पाई है। पर हां, कमाल का काम किया है उन्होंने। उम्मीद और कोशिश रहेगी कि बहुत जल्द उनसे मिला जाए। समां बांधा है उन्होंने।
–पुष्पा के बाद से ऑफर्स की बाढ़ रही वॉय्स ओवर को लेकर कि हमारे हीरो को भी उद्धार करें ?
जी हां। काफी अवसरों के लिए पूछा गया। पर मैंने सोचा कि एक्सक्लूसिविटी रखी जाए। आज अगर लोग डबिंग की तारीफ करते हैं तो अगर हर जगह यूज करने लगा तो उसकी नॉवेल्टी खत्म हो जाए। यकीनन दो दर्जन अलग तरीकों से आवाजें देने को कहा गया। स्पूफ बनाने को लेकर भी पूछा गया। तो कुछेक वॉय्स ओवर दोस्तों के स्पूफ के लिए कीं।
–आप को भी हार्ट अटैक झेलना पड़ा था। सवाल कोविड वैक्सीन पर होते रहें हैं कि शायद उसका साइड इफेक्ट है जो युवा भी इस चपेट में आ रहें हैं?
इसके कोई प्रमाण तो नहीं हैं कि वैक्सीन के ही साइड इफेक्ट हैं। हालांकि कोई डॉक्टर कुछ बताएगा भी नहीं। हम भी दावे के साथ नहीं कह सकते, लेकिन इसमें भी सच्चाई है कि वैक्सीन के बाद थकावट आदि ज्यादा होने लगे। जैसे सब कहते हैं कि इतनी जल्दबाजी में वैक्सीन बनता नहीं। मगर यह बात तो भगवान ही जाने। पर हां यह भी सच है कि कई यंगस्टर्स भी हार्ट अटैक के शिकार हुए। पर हां इतना कहना चाहूंगा कि आपकी बॉडी सिग्नल तो देती है। तो उन सिग्नल्स का ध्यान देना चाहिए।
साभार सहित – अमित कर्ण
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