आगरा : संजय प्लेस स्थित कॉसमॉस मॉल पर लोकहितम थैलीसीमिया सोसाइटी की ओर से शनिवार को ‘नो मोर थैलीसीमिया’ जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती के समक्ष अध्यक्ष प्रेमसागर अग्रवाल, महामंत्री अनिल कुमार अग्रवाल, चेयरमैन अशोक अग्रवाल, निदेशक अखिलेश अग्रवाल एवं संयोजक रोहित अग्रवाल ने दीप प्रवज्जलन ने कर किया। सेमिनार में मुंबई के तोलानी सेवा संकल्प के चेयरमैन थदाराम तोलानी ने कहा कि थैलेसीमिया एक ऐसी बीमारी है जिसमे शरीर में पर्याप्त मात्रा में हीमोग्लोबिन बनना बंद हो जाता है। इस बीमारी से पीड़ित बच्चो को 1 से 2 यूनिट तक प्रत्येक 15 दिन में आजीवन रक्त चढ़ाने की आवश्यता होती है। जितना भी रक्त आज हम लोग इक्कठा करते है उसका चालीस प्रतिशत रक्त थैलेसीमिया पीड़ित मरीज पर खर्च हो रहा है। ये रोग बच्चे को अपने ही नाना-नानी, दादा-दादी से आता है। इसीलिए विवाह पूर्व HBA2 जांच कराना अत्यंत आवश्यक हैं जो कि थैलेसीमिया बीमारी को रोकने का एकमात्र उपाय हैं।
संयोजक रोहित अग्रवाल ने बताया 21 फरवरी को प्रातः 10 बजे से सरस्वती विद्या मंदिर कमला नगर पर निःशुल्क HLA Test (थेलेसेमिया मरीज और मरीज के भाई/बहन का बॉन मेरौ जांच) का सैम्पल डॉक्टर शांतनु सेन, डॉक्टर जूही मेहरोत्रा एवं श्रीमती ज्योति टंडन द्वारा एकत्रित किया जायेगा जिसे डीकेएमएस की जर्मनी लेब में टेस्ट के लिए भेजा जायेगा एवं तोलानी सेवा संकल्प (महाराष्ट्र) के द्वारा HBA2 Test (थैलेसीमिया कैरियर पता करने हेतु जाँच) जाँच शिविर लगाया जायेगा जिसका सैम्पल मुंबई भेजा जायेगा।
डॉ. नीतू चौहान ने कहा कि दो थैलेसीमिया माइनर अगर आपस में विवाह करते है तो उनके बच्चे थैलेसीमिया मेजर होने की अधिक सम्भावना रहती है। जैसे हम बच्चो के विवाह के लिए उनकी कुंडलियां मिलवाते है वैसे ही उनकी थैलेसीमिया माइनर रक्त परिक्षण की रिपोर्ट मिलाना जरुरी है क्योंकि थैलेसीमिया एक लाइलाज बीमारी है इसकी सावधानी ही इसका बचाव है। सेमिनार में फिल्म थेयटर ग्रुप व रोबिन हुड आर्मी की जागरूकता प्रस्तुति भी दर्शको को खूब पसंद आयी। सेमिनार का संचालन निमिषा तायल ने किया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से लोकहितम थैलेसीमिया सोसायटी के चैयरमेन अशोक अग्रवाल, निदेशक अखिलेश अग्रवाल, मनीष राय, सुनील खेत्रपाल, पुनीत त्रिवेदी, अर्पित गोयल, मयंक गोयल, गौतम सेठ, अंकित वर्मा, खुशी गोयल, अंकिता सिंह, अंकित खंडेलवाल, प्राची वर्मा आदि मौजूद रहे।
मैं ज्यादा साल जी नहीं पाउँगा
तीस वर्षीय थैलेसीमिया पीड़ित अर्जुन को देखने में सिर्फ 14 वर्ष के लगते है उनका कहना था कि जितनी परेशानी हमें झेलनी होती वो बहुत की कष्टदायक होती है। मुझे हर दस दिन में दो यूनिट रक्त चढ़ता है। बीस वर्षीय दिव्यांशु कहते है कि मेरे शरीर में आयरन बढ़ जाता है जिससे बहुत सी दवाइयां लेनी होती है। सब कहते है मैं ज्यादा साल जी नहीं पाउँगा। अठारह वर्षीय करिश्मा सत्संगी कहती है कि हमारी लाइफ बाकि बच्चो की तरह नार्मल नहीं है। काश मेरे माता-पिता ने शादी से पहले एचबीए-2 की जाँच करा ली होती तो मुझे ये रोग न होता। पंद्रह वर्षीय ध्रुव अग्रवाल ने बताया कि हमारी सामान्य बच्चो की तरह ग्रोथ नहीं होती है। मुझे जब रक्त चढ़ता है तो मुझे नहीं पता होता मुझे हिन्दू का या मुस्लिम का रक्त मिला। मेरा सभी से अनुरोध है अठारह वर्ष के बाद रक्तदान अवश्य करे।
इन संस्थाओ का रहा सहयोग
एक पहल, दान फाउंडेशन, रोबिन हुड आर्मी, सकारात्मक फाउंडेशन, डीकेएमएस बीएमएसटी फाउंडेशन इंडिया, पेरेंट्स एसोसिएशन थेलेसेमिक यूनिट ट्रस्ट, लोकहितम ब्लड बैंक, तोलानी सेवा संकल्प, मुक्ति थेलेसेमिक वेलफेयर इंडिया, विधा स्त्रोत, उन्नयति एवं ट्रेफिक सपोर्ट टीम संस्था सहयोग दे रही हैं।
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