स्टडी में दावा: मेटाबॉलिजम को बुरी तरह प्रभावित करते हैं जीरो कैलरी स्वीटनर्स

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एक स्टडी में दावा किया गया है कि जीरो कैलरी स्वीटनर्स सेहत के लिए नुकसानदायक होते हैं और वे मेटाबॉलिजम को बुरी तरह प्रभावित करते हैं।

माना जाता है कि शुगर के मरीजों को चीनी के बजाय उसके विकल्प यानि जीरो कैलरी वाले स्वीटनर का सेवन करना चाहिए। ये शुगर का एक बेहतरीन विकल्प होते हैं और न सिर्फ ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करते हैं बल्कि दांत खराब होने से भी बचाते हैं। लेकिन क्या ये वाकई हेल्दी हैं? इसका पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने हाल ही में गर्भवती और स्तनपान कराने वाले चूहों को सुक्रलोस (Sucralose) ओर ऐसीसल्फेम पोटैशियम (Acesulfame Potassium) दिया गया जोकि सोडा, स्पॉर्ट्स सप्लिमेंट्स और अन्य स्वीट प्रॉडक्ट्स में पाए जाते हैं। परीक्षण करने पर पाया गया कि इन चूहों से जन्मे बच्चों में मेटाबॉलिजम और गट बैक्टीरिया संबंधी कई बदलाव हुए और ये बदलाव नुकसानदायक थे।

फ्रंटियर्स इन माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित इस स्टडी से परिणाम निकाला गया कि नेचुरल स्वीटनर को अगर नियंत्रित मात्रा में लिया जाए तो वे किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते। स्टडी के सीनियर लेखक डॉ. जॉन हेनोअर के मुताबिक, गैर पौष्टिक स्वीटनर्स को नियंत्रित मात्रा में लेना आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है।

चूंकि स्वीटनर्स ब्रेस्ट मिल्क और प्लेसेंटा के जरिए शिशु में भी प्रवेश कर जाते हैं इसलिए इस स्टडी को गर्भवती और स्तनपान कराने वाले चूहों पर किया गया ताकि यह देखा जा सके क्या शिशुओं में भी वही बदलाव नजर आते हैं जैसे कि मांओं में होते हैं या फिर नहीं। जन्मे चूहे के बच्चों के जब ब्लड, मल और यूरीन का विश्लेषण किया गया तो पता चला कि स्वीटनर्स प्रीनेटल तरीके से भी प्रवेश कर सकते हैं और वे जन्मे बच्चों के मेटाबॉलिज्म को भी प्रभावित करते हैं।

इस आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि प्रेग्नेंसी के दौरान आर्टिफिशल स्वीटनर का नियंत्रित तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए। लेकिन सैक्रीन का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। लेकिन अब हम लोग स्वीटनर्स की कितनी मात्रा का सेवन करते हैं इसका पता लगाना मुश्किल है क्योंकि आजकल टूथपेस्ट लेकर कोल्ड ड्रिंक और दवाइयों तक में स्वीटनर्स का इस्तेमाल किया जाने लगा है।

-एजेंसियां